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घोटालों की अंधेरी सुरंग

अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घूसकांड पर इटली की अदालत के फैसले से चर्चा में आए कुछ भारतीय सांसद सीना तानकर संसद में कह रहे थे कि अगर आरोप सिद्ध हुए, तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। असल में, वे...

घोटालों की अंधेरी सुरंग
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घूसकांड पर इटली की अदालत के फैसले से चर्चा में आए कुछ भारतीय सांसद सीना तानकर संसद में कह रहे थे कि अगर आरोप सिद्ध हुए, तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। असल में, वे जानते हैं कि भारतीय न्याय-प्रणाली में उन्हें दोषी साबित करना बहुत टेढ़ी खीर है। विभागीय प्रणाली और नैसर्गिक न्याय-व्यवस्था में संविधान भले ही विभागीय मंत्री, सीएम या पीएम को निर्णय करने का अधिकार देता हो, लेकिन कागजों पर दस्तखत करने का अधिकार विभागीय प्रमुख सचिव को ही है। यही कारण है कि छोटे-घोटाले से लेकर बड़े घोटालों तक मंत्री साफ बच निकलते हैं और सारी जिम्मेदारी सचिवों की तय हो जाती है। करदाताओं का पैसा कैसे लूटा जाता है, इसका सबूत घोटालों की लंबित फाइलें हैं। शायद ही कोई नेता किसी घोटाले में आजीवन कारावास का दंडभागी हुआ हो। विधानसभा और संसद की कैंटीन में सब्सिडी वाले स्वादिष्ट भोजन चखते इन नेताओं को भूख-प्यास से तड़पते आम भारतीय दिखाई नहीं देते।
मनोज भारतीय, विजय नगर, मेरठ

सतर्क होती एजेंसियां
आतंकियों के इरादों पर पानी फेरते हुए जिस प्रकार से उन सबको दिल्ली में गिरफ्तार किया गया है, उससे यह लग रहा है कि देश में कानून लागू करने वाली एजेंसियां अब काफी सतर्क हो गई हैं। हमारे इस कदम को देखकर आतंक के बढ़ते कदम जरूर थमे होंगे। अब पकडे़ गए इन आतंकियों से सख्ती से पूछताछ करके आतंक को जड़ से उखाड़कर फेंकने के लिए और कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।
वकार यूनुस

फसल योजना का गीत
आजकल किसानों के लिए फसल बीमा योजना का गीत बहुत गाया जा रहा है। मगर यह भी जुमला ही है। यह फसलों की उत्पादन लागत को दो प्रतिशत और बढ़ाएगा। यह फसल के मूल्य का बीमा नहीं है। बैंक खुद बीमा करा रहे हैं, और यह इसलिए जरूरी किया जा रहा है, क्योंकि बैंकों की व्यावसायिक जरूरतें हैं। किसान की खेती की लागत दो प्रतिशत बढ़ जाएगी और आपदा आ जाने पर फसल का मूल्य भी नहीं मिलेगा, बल्कि फसल में लगाई गई लागत का मूल्य यानी कर्ज राशि ही मिलेगी। इसलिए इस योजना को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम से बचना चाहिए।
देवेन्द्रराज सुथार

भ्रष्टाचार और महंगाई
जब भी कोई नई सरकार आती है, तो पिछली की फाइलें खोली जाती हैं। फिर भ्रष्टाचार की बातें की जाती हैं,  और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किए जाते हैं। मगर इस सब में सरकार भूल जाती है कि उसे आम आदमी के लिए भी काम करना है, जिसने उसे सत्ता तक पहुंचाया। इस बहसबाजी का फायदा उठाकर जमाखोर चीजों की जमाखोरी करते हैं, जिससे महंगाई बढ़ती जाती है। अभी ही दाल की कीमतें तेज होने लगी हैं। मगर बात अगस्ता और कोयला घोटाले की हो रही है। मुझे लगता है कि यह सब महंगाई से आम आदमी का ध्यान हटाने के लिए किया जाता है।
कृष्ण भार्गव, नजफगढ़, नई दिल्ली

कैसा समाज बना रहे हम
पश्चिम की महिलाएं अंतरिक्ष में जाएंगी, मगर भारतीय महिलाएं घर से बाहर निकलने में भी हिचकिचाएंगी, क्योंकि घर के बाहर घूम रहे हैं दरिंदे! भारत का सबसे साक्षर प्रदेश केरल भी अब ऐसे दरिंदों से अछूता नहीं। दिल्ली के बाद अब केरल में घटी बलात्कार की झकझोर देने वाली घटना से मन में सवाल उठता है कि क्या हम किसी सभ्य समाज में जी रहे हैं? बलात्कार से संबंधित अपराधों के मामले में भारत दुनिया भर में चौथे पायदान पर है। अब हम ऐसा देश बनते जा रहे हैं, जहां पीने का साफ पानी हर व्यक्ति को भले न मिले, पर प्रति हजार व्यक्ति हजार के करीब अश्लील साइटें जरूर होंगी।
कुशमिता राणा, अमरोहा

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