साल का पहला सूर्य ग्रहण: वर्षों बाद बना ऐसा योग, क्या होगा असर
वर्ष 2016 का पहला सूर्यग्रहण फाल्गुन कृष्ण पक्ष अमावस्या की रात में यानि 8 मार्च की रात एवं 9 मार्च की भोर में लगा। अष्टग्रही योग के साथ लगने वाला यह सूर्यग्रहण लगभग कई दशक बाद लगा है। क्या...
वर्ष 2016 का पहला सूर्यग्रहण फाल्गुन कृष्ण पक्ष अमावस्या की रात में यानि 8 मार्च की रात एवं 9 मार्च की भोर में लगा। अष्टग्रही योग के साथ लगने वाला यह सूर्यग्रहण लगभग कई दशक बाद लगा है।
क्या कहते हैं ज्योतिर्विद
ज्योतिर्विद् पं दिवाकर त्रिपाठी बताते हैं कि लगभग तीन दशक बाद कुंभ राशि पर पंचग्रही योग में सूर्य ग्रहण लगा है। हालांकि खगोलीय घटना का यह दुर्लभ नजारा भारत में आंशिक ग्रहण के रूप में ही दिखाई दिया। यह नजारा पश्चिमोत्तर भाग को छोड़ कर अंचल सहित पूरे देश में दिखा।
कब कहां दिखा नजारा
- स्पर्श भोर में 4:49बजे
- मध्य समय सुबह 07:27 पर
- मोक्ष सुबह 09:08 बजे|
- भारत में सूर्य ग्रहण 9 मार्च को सुबह 5.36 बजे, मध्य 6.10 बजे तथा मोक्ष 6.47 बजे हुआ। ग्रहण का परम ग्रास लगभग एक चौथाई रहा।
- अगरतल्ला में सूर्योदय 05:40 बजे तथा ग्रहण का मोक्ष समय 06:47 बजे है अतः ग्रहण काल 1:07 मिनट के लगभग रहा। वहीँ दिल्ली में ग्रहण काल 07 मिनट तक रहा। |
- इलाहाबाद में सूर्योदय 06:19 बजे तथा ग्रहण का मोक्ष समय 06:47 बजे है, लिहाजा इलाहाबाद में यह ग्रहण 28 मिनट ही दिखाई दिया।
- गोरखपुर में सूर्योदय 06:16 से मोक्ष समय 06:47 तक लगभग 31 मिनट तक दिखा।
- लखनऊ में सूर्योदय 06:23 से 06:47 तक लगभग 24 मिनट ही दिखा।
इन ग्रहों ने बनाया अशुभ योग
- यह ग्रहण पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में साध्य योग, कुंभ राशि में स्थित चंद्र के साथ घटित हुआ। ज्योतिर्विद् पं दिवाकर त्रिपाठी बताते हैं कि इस समय आकाश में 5 ग्रह केतु, बुध, सूर्य, शुक्र और चंद्र कुम्भ राशि में साथ रहे तथा बृहस्पति भी सिंह राशि में राहु के साथ गुरु-चाण्डाल योग के साथ विद्यमान रहा, साथ ही इन ग्रहों पर शनि-युत मंगल की दृष्टि भी पड़ी जो एक अशुभ योग का निर्माण करती है।
- 9 मार्च को सूर्य ग्रहण के बाद 23 मार्च को चंद्र ग्रहण पड़ेगा, जो 4 घंटा 15 मिनट का होगा।
- 9 मार्च को पड़ने वाले ग्रहण के लिए सूतक 12 घंटे पूर्व 8 मार्च को ही शाम को लगभग 5.04 बजे ही लग जाएगा, यानि 8 मार्च को शाम 5 बजे से मंदिर के पट बंद होने के बाद दूसरे दिन सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद ही खुलेंगे।
- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या पर ग्रहण का होना शुभ नहीं माना जाता है। बुधवार का दिन, कुंभ राशि, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र तथा पांच ग्रहों के साथ ग्रह गोचर में गुरु-राहु अर्थात् गुरु-चाण्डाल योग का समसप्तक दृष्टि संबंध अनिष्टकारी माना जाता है। यह योग कई दशकों बाद बन रहा है।
ग्रहण पर कब क्या करें
-ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान पुनः मोक्ष के समय स्नान करना चाहिए। सूतक लग जाने के बाद मन्दिर में प्रवेश करना ,मूर्ति स्पर्श करना ,भोजन करना ,यात्रा इत्यादि वर्जित है। बालक ,वृद्ध रोगी ,अत्यावश्यक में पथ्याहार ले सकते है। ग्रहण के मोक्ष के बाद पीने का पानी भी ताजा ही लेनी चाहिए। गर्भवती महिलायें पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगा सकती है। ग्रहण काल में श्रद्धा के साथ श्राद्ध, दान, जप एवं मन्त्र सिद्धि इत्यादि करना उत्तम फलदायी होता है। जिन जातकों की राशि में ग्रहण के कारण कष्ट है, उन्हें तीर्थ जल से स्नान, जप, दान, शिवार्चन, पितरों के लिए श्राद्ध करने से कष्ट दूर होंगे।
किस पर क्या असर
खग्रास सूर्य ग्रहण का विभिन्न राशियों पर पड़ने वाला असर :-
- मेष : लाभ ,आय में वृद्धि ,विद्याध्यन में अवरोध।
- वृष : सुख में कमी ,सीने की तकलीफ ,सम्मान वृद्धि।
-मिथुन : पराक्रम वृद्धि, शत्रु विजय ,शारीरिक कष्ट।
- कर्क: पैर में चोट या दर्द ,खर्च में वृद्धि ,मनोबल कमजोर।
- सिंह : दाम्पत्य जीवन में बाधा, कमर या कंधे में दर्द,वाहन पर खर्च।
- कन्या: पराक्रम वृद्धि ,खर्च वृद्धि, शल्यचिकित्सा।
- तुला: धन वृद्धि, भ्रातृ कष्ट, वाणी तीव्र।
- वृश्चिक: क्रोध में वृद्धि ,सम्मान में अचानक कमी ,स्वास्थ्य वृद्धि
-धनु: भ्रम की स्थिति ,पिता का सहयोग ,धार्मिक यात्रा
- मकर: धन हानि, पेट की आन्तरिक समस्या , धन वृद्धि
- कुंभ: सिर एवं कमर में दर्द ,दाम्पत्य में अवरोध
- मीन: कार्य क्षेत्र में बाधा ,मनोबल कमजोर ,चोट