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महिला आरक्षण समर्थकों की संख्या बढ़ी, जद-यू में मतभेद जारी

सालों ठंडे बस्ते में रहने और विवादों में घिरे महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने की संभावना बढ़ गई है। विधेयक के समर्थकों की संख्या बढ़ने के साथ ही इस मसले पर जद-यू में मतभेद जारी है। बिहार के...

महिला आरक्षण समर्थकों की संख्या बढ़ी, जद-यू में मतभेद जारी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 06 Mar 2010 09:36 PM
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सालों ठंडे बस्ते में रहने और विवादों में घिरे महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने की संभावना बढ़ गई है। विधेयक के समर्थकों की संख्या बढ़ने के साथ ही इस मसले पर जद-यू में मतभेद जारी है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को आरक्षण दिये जाने के लिए किये जा रहे उपायों का समर्थन किया है हालांकि उनकी पार्टी जनता दल यू के अध्यक्ष शरद यादव इस विधेयक के विरोध में हैं।

द्रमुक, नेशनल कांफ्रेंस और अकाली दल के विधेयक के समर्थन में आने से सरकार को राहत महसूस हुयी है। इस विधेयक के लिए संविधान में संशोधन करना होगा और राज्यसभा की सोमवार की कार्यसूची में इस विधेयक को सूचीबद्ध किया गया है। इन तीन दलों के सदन में नौ सदस्य हैं और अब सरकार संख्या को लेकर संतोषजनक स्थिति में है।

कुमार का समर्थन सरकार के लिए अप्रत्याशित रहा जबकि जदयू प्रमुख शरद यादव 1997 से ही विधेयक के विरोधी हैं जब विधेयक पहली बार पेश हुआ था। उच्च सदन में जदयू के सात सदस्य हैं जबकि लोकसभा में उसके 20 सांसद हैं।

संविधान संशोधन विधेयक होने के नाते इसके लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी और 245 सदस्यीय सदन में अभी 233 सांसद हैं। यहां कम से कम 155 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी।

सरकार को कांग्रेस, भाजपा और वामदलों के सदस्यों को मिलाकर 138 सदस्यों का समर्थन है। इसके अलावा कुछ छोटी पार्टियां का भी समर्थन मिल रहा है जिससे कुल संख्या 165 हो रही है।


जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने शनिवार को कहा कि महिला आरक्षण विधेयक के मौजूदा स्वरूप को लेकर उनकी पार्टी का विरोध अब भी बरकरार है।

यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस विधेयक का समर्थन किए जाने के बारे में पूछे जाने पर आज यहां संवाददाताओं से कहा कि जदयू के नजरिए में कोई बदलाव नहीं आया है।

उन्होंने कहा कि कुमार ने अपनी निजी राय जाहिर की है। पार्टी इस विधेयक पर सोमवार को राज्यसभा में होने वाले मतदान से पहले उनकी राय पर विचार कर समुचित फैसला करेगी।

लोकसभा में 20 सांसदों वाला जदयू इस विधेयक के मौजूदा स्वरूप के खिलाफ है। वह महिलाओं के लिए आरक्षण के अंदर ही पिछडों और दलितों के लिए अलग से रिजर्वेशन की मांग कर रहा है।

इस बीच भारतीय जन शक्ति की अध्यक्ष उमा भारती ने यादव से मुलाकात के बाद कहा कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी इस विधेयक को स्वीकार करने के लिए संसद को बाध्य कर रही हैं।

भारती ने कहा कि महिलाएं भी वर्ण व्यवस्था की मार ङोलती रही हैं। इसलिए इस विधेयक में अनुसूचित जातियों. जनजातियों और पिछडे तबकों के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक को जिस अफरातफरी में लाया जा रहा है उससे लगता है दाल में कुछ काला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा को व्हिप जारी करने के बजाय अपने सांसदों को इस विधेयक पर अंतरात्मा के मुताबिक वोट करने की छूट देनी चाहिए।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को आरक्षण दिये जाने के लिए किये जा रहे उपायों का समर्थन किया है, हालांकि उनकी ही पार्टी जनता दल यू के अध्यक्ष शरद यादव इस विधेयक के विरोध में हैं।

नीतीश ने पटना में संवाददाताओं से कहा जब मैं संयुक्त संसदीय समिति का सदस्य था तब [करीब एक दशक पहले] मैंने डिसेंट नोट दिया था। अब समय आ गया है कि महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण दिया जाये। मैं शरद जी से बात करूंगा और उनसे अपील करूंगा कि वे विधेयक को पारित होने को सुनिश्चित करें। शुरू से ही इस विधेयक के मुखर विरोधी रहे जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने हालांकि कहा कि इस विधेयक के मौजूदा स्वरूप को लेकर उनकी पार्टी का विरोध जारी रहेगा।

महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक सोमवार को राज्य सभा में विचार के लिए आने वाला है, जहां जनता दल यू के सात सांसद हैं, जबकि लोकसभा में पार्टी के 20 सदस्य हैं।

नीतीश कुमार ने कहा अच्छा होता कि सरकार कोटा के अंदर कोटा की मांग को स्वीकार कर लेती लेकिन इस मुद्दे पर विधेयक को रोकना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आदर्श रूप में अत्यंत पिछड़े और पिछड़ी जाति की महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में आरक्षण मिलना चाहिए। हम इसे हासिल करने के लिए प्रयास जारी रखेंगे।

नीतीश के इस रुख पर यादव ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने सुझाव के बारे में उनसे भी बात की है और यह बताया है कि वह भी अतीत में पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए कोटा के अंदर कोटा की मांग करते रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह नीतीश कुमार के सुझावों को खारिज कर रहे हैं, शरद ने इसका सीघा जवाब न देते हुए कहा जो मैंने कहा है उसी में उत्तर है। यह पूछे जाने पर कि जब यह विधेयक राज्य सभा में आयेगा तो पार्टी इसका विरोध करेगी यादव ने कहा उनकी पार्टी का विरोध कोई एक दिन का नहीं है।

यादव ने भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को चुनौती दी कि वह अपने सदस्यों को बिना व्हीप जारी किये इस विधेयक को पास कराने का प्रयास करे। उन्होंने कहा अगर वे कह रहे हैं कि उनके पास बहुमत है तो मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वे अपने सदस्यों को इस मुद्दे पर कोई व्हीप जारी न करें। जदयू भी व्हीप जारी नहीं करेगा और तब वे इस विधेयक को पास कराने में सफल होते हैं तो इसे स्वीकार करने वाला मैं पहला व्यक्ति होउंगा।

     यादव ने इस बात पर जोर दिया कि करीब एक दशक पहले भाजपा की पूर्व नेता उमा भारती तथा कुछ अन्य नेताओं ने नीतीश कुमार के साथ इस विधेयक पर अपना विरोध जताया था।

जदयू अध्यक्ष ने कहा कि हम ज्यादातर महिलाओं के शक्तिकरण के पक्ष में हैं लेकिन कहा जा रहा है कि हम इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग जो गैर सरकारी संगठनों और दिल्ली में रहने वाली महिलाओं के इशारे पर इस विधेयक को उसके मौजूदा स्वरूप में उसे आगे बढा़ रहे हैं, वास्तव में वही महिलाओं के सही विरोधी है।

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