दारफुर में स्थायी शांति समझौता होः बान की मून
सूडान में सरकार और मुख्य बागी गुट के बीच संघर्षविराम का स्वागत करते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने लड़ाकू समूहों से एक स्थायी शांति समझौता करने के लिए कहा है। दारफुर में संघर्ष समाधान के...
सूडान में सरकार और मुख्य बागी गुट के बीच संघर्षविराम का स्वागत करते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने लड़ाकू समूहों से एक स्थायी शांति समझौता करने के लिए कहा है।
दारफुर में संघर्ष समाधान के लिए तैयार समझौते पर दोहा में दस्तखत किए गए, जहां सूडान के राष्ट्रपति उमर अल बशीर और खलील इब्राहिम भी मौजूद थे।
बान के प्रवक्ता मार्टिन नेसिरकी ने एक बयान में कहा कि यह समझौता दारफुर में व्यापक शांति समझौते की ओर एक कदम है जो संघर्ष की वजहों और दारफुर के लोगों की चिंताओं का समाधान करेगा।
इसमें कहा गया है कि महासचिव चाहते हैं कि इस समझौते के प्रावधानों का पूरी तरह से कार्यान्वयन किया जाए और सभी पक्षों को दोहा शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाए ताकि दारफुर संकट के पक्के राजनीतिक समाधान पर सहमत हुआ जा सके।
उल्लेखनीय है कि अरब बहुल सरकार और अफ्रीकी मूल के आदिवासियों के बीच सात वर्ष से ज्यादा समय तक संघर्ष हुआ जिसमें हजारों लोग मारे गए और बीस लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए।
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए बशीर को दोषी पाया।
खबरों के मुताबिक, बशीर ने दारफुर स्थित अल फशर में जमा लोगों से कहा कि संकट खत्म हो गया है और दारफुर में अब शांति है। खबरें यह भी हैं कि संघर्षविराम के साथ ही जेम बागी गुट के 57 कैदियों को रिहा कर दिया गया है।
दारफुर में अफ्रीकी आदिवासी इस बात पर कायम हैं कि अरब सरकार ने उन्हें दशकों तक आर्थिक और राजनीतिक तौर पर अलग-थलग रखा। शांति वार्ता के अनुरूप उम्मीद की जा रही है कि विरोधी गुट किसी राजनीतिक समझौते पर पहुंच जाएंगे जिससे उन्हें सत्ता में कुछ भागीदारी भी मिलेगी।
बहरहाल संघर्षविराम पर पहले भी दस्तखत हुए लेकिन उनका पालन नहीं हो पाया। दारफुर में जेम बागियों का सबसे बड़ा गुट है और अब्दुल वाहिद नूर के नेतृत्व में सूडान लिबरेशन आर्मी जैसे छोटे बागी समूह भी हैं जो फ्रांस में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।