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सीबीआई ने रुचिका मामले पर आरटीआई भी खारिज की

एक आरटीआई कार्यकर्ता ने दावा किया है कि सीबीआई रुचिका गेहरोत्रा छेड़छाड़ मामले से जुड़ी यह जानकारी बताने से इनकार कर रही है कि जांच एजेंसी ने तफ्तीश शुरू करने के बाद आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ धारा...

सीबीआई ने रुचिका मामले पर आरटीआई भी खारिज की
एजेंसीWed, 24 Feb 2010 11:57 AM
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एक आरटीआई कार्यकर्ता ने दावा किया है कि सीबीआई रुचिका गेहरोत्रा छेड़छाड़ मामले से जुड़ी यह जानकारी बताने से इनकार कर रही है कि जांच एजेंसी ने तफ्तीश शुरू करने के बाद आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ धारा 306 क्यों नहीं लगायी, जबकि तत्कालीन जांच प्रभारी ने ऐसा करने की सिफारिश की थी।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने सीबीआई के समक्ष सूचना का अधिकार के तहत एक अर्जी दाखिल कर यह जानकारी मांगी थी।

अर्जी में कहा गया था कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के रुचिका छेड़छाड़ मामले की सीबीआई से जांच कराने की 1998 में सिफारिश करने के बाद जब जांच एजेंसी ने तफ्तीश शुरू की तो उस समय मामले के प्रभारी रहे तत्कालीन संयुक्त निदेशक आरएम सिंह की सिफारिश के बावजूद आरोपी पुलिस अधिकारी एसपी़एस राठौड़ के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 306 क्यों नहीं लगायी गयी।

अग्रवाल ने कहा कि सीबीआई ने यह जानकारी देने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते वह केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हो गये हैं।

उन्होंने कहा कि पहले सीबीआई के लोक सूचना अधिकारी ने अर्जी के जवाब में महज यह कहा कि जांच एजेंसी ने जनवरी 2000 में राठौड़ के खिलाफ मामला दर्ज कर नवंबर 2000 में आरोप पत्र दाखिल किया था। जवाब में यह नहीं बताया गया कि तब राठौड़ के खिलाफ धारा 306 क्यों नहीं लगायी गयी।

अग्रवाल ने कहा कि इसके बाद सीबीआई के प्रथम अपीलीय प्राधिकार के समक्ष अपील की गयी। यहां भी अपील खारिज कर गोवा राज्य सूचना आयोग के एक फैसले का हवाला देते हुए सीबीआई ने कहा कि राठौड़ के खिलाफ धारा 306 क्यों नहीं लगायी गयी, इस बारे में मांगी गयी जानकारी सूचना की श्रेणी में नहीं आती।

आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि रुचिका छेड़छाड़ मामला संवेदनशील है और जांच एजेंसी को यह बताना चाहिये कि उसने शुरुआत में राठौड़ के खिलाफ धारा 306 क्यों नहीं लगायी। जिन मामलों में सीबीआई एक पक्ष थी, उनसे जुड़े कुछ फैसलों में केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि अगर जांच पूरी हो जाये तो जानकारी को गोपनीय नहीं रखा जाना चाहिये।

उन्होंने कहा कि यह दलील दिये जाने के बावजूद सीबीआई ने जानकारी देने से इनकार कर दिया और अब वह आयोग में सीबीआई के खिलाफ अपील करेंगे।

अग्रवाल के मुताबिक, उन्होंने अपनी अर्जी में रूचिका छेड़छाड़ मामले के पूरे दस्तावेज, अधिकारियों की नोटिंग, तत्कालीन सीबीआई निदेशक आरक़े राघवन के आदेश तथा तत्कालीन निदेशक (अभियोजन) एसक़े शर्मा और अन्य अभियोजन अधिकारियों के जांच अधिकारी की सिफारिश को खारिज करने का मत जाहिर करते दस्तावेजों दिखाने की मांग की थी।

सीबीआई ने सूचना का अधिकार कानून की धारा आठ (1) (बी) (जी) और (एच) के तहत यह जानकारी देने से इनकार कर दिया है। गौरतलब है कि यह छेड़छाड़ मामला अगस्त 1990 का है। रुचिका ने बाद में दिसंबर 1993 में खुदकुशी कर ली थी। वर्तमान में राठौड़ के खिलाफ चंडीगढ़ की फास्ट ट्रैक अदालत में मुकदमे की सुनवाई चल रही है।

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