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आम बजट में आर्थिक प्रोत्साहन पर लग सकती है लगाम

वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी शुक्रवार को आम बजट पेश करेंगे और इसी के साथ अटकलें तेज हो गई हैं कि आर्थिक प्रोत्साहन पैकेजों में कमी की जा सकती है। इसके तहत सबसे पहले उत्पाद शुल्क बढा़या जा सकता...

आम बजट में आर्थिक प्रोत्साहन पर लग सकती है लगाम
एजेंसीSun, 21 Feb 2010 02:28 PM
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वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी शुक्रवार को आम बजट पेश करेंगे और इसी के साथ अटकलें तेज हो गई हैं कि आर्थिक प्रोत्साहन पैकेजों में कमी की जा सकती है। इसके तहत सबसे पहले उत्पाद शुल्क बढा़या जा सकता है।

सूत्रों ने कहा कि हालांकि प्रत्यक्ष कर दरों से फिलहाल छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि प्रत्यक्ष कर संहिता पर सुधार अभी शुरू होते नजर नहीं आ रहे हैं। इस संहिता पर अभी विभिन्न सरकारी सत्रों पर विचार-विमर्श चल रहा है।

सूत्रों ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता को सोमवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में पेश किए जाने की संभावना नहीं है। यह संहिता पारंपरिक आयकर कानून की जगह लेगी।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने भी उत्पाद शुल्क को बढा़कर सेवा कर के समान करने तथा सेवा कर का दायरा बढा़ने का सुझाव दिया है। फिलहाल उत्पाद शुल्क आठ प्रतिशत तथा सेवा कर दस प्रतिशत है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इसके बाद कहा कि हम कहना चाहेंगे कि आर्थिक प्रोत्साहन सफल रहे और अब हमें इन्हें समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने भी कहा है कि बेहतर वृद्धि दर अर्जित करने वाले क्षेत्रों को आर्थिक प्रोत्साहन वापस लिया जा सकता है।

यह अलग बात है कि फिक्की, सीआईआई तथा पीएचडीसीसीआई जैसे उद्योग संगठन आर्थिक प्रोत्साहनों को वापस लिए जाने का विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुधार अभी व्यापक पैमाने पर नहीं हुआ है।

फिक्की के अध्यक्ष हर्षपति सिंघानिया ने कहा कि हमें डर है कि भले ही आंशिक हो, प्रोत्साहन पैकेजों को वापस लिया जाना वृद्धि दर प्रक्रिया को पटरी से उतार सकता है और यह उद्योग जगत को बुरी तरह प्रभावित करेगा।

उन्होंने उम्मीद जताई कि आर्थिक प्रोत्साहन कम से कम छह महीने या साल तक जारी रहेंगे। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि वैश्विक आर्थिक सुधार कमजोर होंगे।

वहीं केपीएमजी के कार्यकारी निदेशक विकास वंसल ने कहा कि मेरा मानना है कि सरकार राजकोषीय घाटे को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए कुछ कदम उठा सकती है, क्योंकि लगभग सभी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में पिछले साल की तुलना में सुधार हुआ है।

इस बीच सूत्रों का कहना है कि प्रत्‍यक्ष कर दरों में बजट में कोई बदलाव की संभावना नहीं है और इनमें छेड़छाड़ मसौदा प्रत्यक्ष कर संहिता के माध्यम से की जा सकती है।

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