कलम से बड़ा जूता
ैसे बढ़े मतदान प्रतिशत चौथे चुनावी महापर्व पर सभी पार्टियों के जोर-शोर करने के बावजूद 44 प्रतिशत मतदान हुआ। 56 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट न डालकर जताया है कि कोई भी पार्टी इस काबिल नहीं जो हम वोट...
ैसे बढ़े मतदान प्रतिशत चौथे चुनावी महापर्व पर सभी पार्टियों के जोर-शोर करने के बावजूद 44 प्रतिशत मतदान हुआ। 56 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट न डालकर जताया है कि कोई भी पार्टी इस काबिल नहीं जो हम वोट डालने के लिए अपना समय खराब करं। एक बात कही जाए तो 56 प्रतिशत मतदाता पप्पू ही बने रहे। हार-ाीत तो अब भी होनी है, मगर पार्टियों को अपने-अपने गिरवान में झांकना चाहिए और सुधार करना चाहिए जिससे यह प्रतिशत बढ़ सके। गुप्ता दाड़ी वाला, दिल्ली जाति के जाल में जनता जाति सूचक शब्द बोलने को या जाति का नाम लेने को जहां अपराध माना जाता है, दुर्भाग्य है कि इस देश में हर तरह का चुनाव जाति पर आधारित होकर रह गया है, यहां चुनाव लड़ने को टिकट जाति के आधार पर मिलता है। सार आंकड़े जाति के आधार पर तैयार किए जाते हैं। सार सव्रेक्षण जाति के आधार पर कराए जाते हैं। खुलेआम जाति को लेकर बहस देखी जा सकती है। तो फिर ये लोकतंत्र की दुहाई देने वाले, धर्मनिरपेक्ष कहलाने वाले जातितंत्र की गिरफ्त में क्यों न आए? कौशल किशोर दुबे, साहिबाबाद पांच वर्ष में एक बार एक नेता जी बस्ती में वोट मांगने गए। गंदगी देखकर नेता जी बोले- क्या सफाई कर्मचारी नहीं आता। किसी ने उत्तर दिया- हर पांच वर्ष बाद आता है। रात कुमार, भूडृ, बरली कुदरती बांट दिलकश नजारों केड्ढr मारों को।ड्ढr कहां खो गएड्ढr छोटे बांटड्ढr जिनसे हम तौलते थेड्ढr कुदरतीड्ढr इशारों को। शरद जायसवाल, कटनी, मध्य प्रदेश पंचतत्वों की सार्थकता व्यक्ित के जीवन में पंचतत्वों का अहम महत्व है। हमार दैनिक जीवन में जल, वायु, सूर्य की किरणों से होने वाले संशोधन का महत्व सर्वप्रथम है। जीवन केवल इनके इर्द-गिर्द ही भ्रमण नहीं करता अपितु पेड़ों और जंगलों पर हम शत-प्रतिशत निर्भर है, जहां से हमें ऑक्सीजन मिलती है। अगर हमें वनों के महत्व का पता होता तो वनों का कटान न होता। जिस वातावरण में हम सांस ले रहे हैं, उसे विषैला करके हम अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं, अत: पंचतत्वों की सार्थकता समझें, क्योंकि पंचतत्व ही मानव जीवन की आधारशिला है। शोभा बड़ोला, घूर एकेश्वर, पौड़ी