आपदा के दौरान मददगार है ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग
आपदा के दौरान सोशल नेटवर्किंट वेबसाइट्स सूचना के प्रचार एवं प्रसार के माध्यम से कई समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। ऐसे में इनका प्रचलित होना आपात प्रबंधन के कार्यो में जुटी संस्थाओं के लिए फायदे के...
आपदा के दौरान सोशल नेटवर्किंट वेबसाइट्स सूचना के प्रचार एवं प्रसार के माध्यम से कई समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। ऐसे में इनका प्रचलित होना आपात प्रबंधन के कार्यो में जुटी संस्थाओं के लिए फायदे के तौर पर देखा जा रहा है।
एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि आपदा के दौरान सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के माध्यम से खबरों या फिर जरूरी जानकारियों का आदान-प्रदान पारंपरिक मीडिया की तुलना में ज्यादा तेजी से किया जा सकता है। इससे सूचना की सटीक और समय से जानकारी दी जा सकती है।
ऐसे में एक बड़ा सवाल यह है कि क्या-फेसबुक, माइस्पेस, ट्विटर और एडहॉक जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स ने खुद को आपदा के दौरान लोगों की मदद के लिए तकनीकी तौर पर तैयार किया है या फिर वे लोगों में अपनी लोकप्रियता यूंही भुना रही हैं।
अमेरिका के अल्बामा प्रांत में स्थित जैक्सनविले स्टेट यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर इमर्जेसी प्रीपेयर्डनेस की कोन्नी व्हाइट के मुताबिक ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स लोगों के बीच डोमेन संबंधी वैश्विक संपर्क स्थापित करती हैं या फिर वे अपने ग्राहकों को जिस तरह के संपर्क स्थापित करने की इजाजत देती हैं, वह लोगों की जरूरतों पर आधारित होता है।
कोन्नी और उनके साथियों ने शोध के दौरान यह पता लगाने का प्रयास किया कि क्या सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स लोगों और संस्थाओं को आपदा के दौरान पारस्परिक रूप से लाभप्रद तरीकों से काम करने की इजाजत देती हैं।
दो प्रमुख सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स-फेसबुक और लिंक्डइन पर दर्जनों ऐसे समूह और व्यक्ति पंजीकृत हैं, जो लोगों के बीच आपदा संबंधी जानकारियों का आदान-प्रधान करने के अलावा उनके बारे में चर्चा करते हैं। यही नहीं, ये लोग आपात प्रबंधन को लेकर जागरूकता फैलाने का काम बखूबी कर रहे हैं।