आतंकी आफताब अंसारी की मौत की सजा बरकरार
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जनवरी 2002 में अमेरिकन सेंटर पर हमले के सिलसिले में आफताब अंसारी और जमीलुद्दीन नासिर की मौत की सजा को शुक्रवार को कायम रखा जबकि तीन अन्य अभियुक्तों की सजा सात साल के कारावास...
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जनवरी 2002 में अमेरिकन सेंटर पर हमले के सिलसिले में आफताब अंसारी और जमीलुद्दीन नासिर की मौत की सजा को शुक्रवार को कायम रखा जबकि तीन अन्य अभियुक्तों की सजा सात साल के कारावास में बदल दी। न्यायालय ने मामले में दो अन्य को रिहा कर दिया।
न्यायमूर्ति असीम बनर्जी और न्यायमूर्ति कालिदास मुखर्जी की पीठ ने अप्रैल 2005 सत्र अदालत द्वारा मुख्य आरोपी आफताब अंसारी और उसके करीबी सहयोगी जमीलुद्दीन नासिर को सुनाई गई मौत की सजा को कायम रखा। सुनवाई अदालत ने सात लोगों को दोषी ठहराते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। पीठ ने 77 दिनों की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। इस फैसले के खिलाफ अंसारी तीन महीने में उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि 22 जनवरी, 2002 की सुबह जवाहरलाल नेहरू रोड स्थित अमेरिकन सेंटर के बाहर पुलिसकर्मियों पर मोटरसाइकिल पर सवार दो लोगों ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी। इस घटना में छह पुलिसकर्मी मारे गए थे जबकि 14 अन्य घायल हुए थे।
इस मामले की जांच तत्कालीन नगर पुलिस आयुक्त सुजय चक्रवर्ती ने की थी। घटना के सिर्फ चार दिन बाद यानी 26 जनवरी को दिल्ली पुलिस के साथ हजारीबाग में हुए मुठभेड़ में सलीम और जाहिद घायल हो गए थे। बाद में उनकी मौत हो गई। उनके मत्यु पूर्व आखिरी बयानों से हमले में आफताब के शामिल होने की जानकारी मिली।
बाद में उसे दुबई में गिरफ्तार किया गया और नौ फरवरी 2002 को उसे भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया। अंसारी कोलकाता में जुलाई 2001 में जूता व्यापारी पाथरे राय बर्मन के अपहरण में भी शामिल था।