अब बस्ते के बोझ से नहीं दबेंगे बच्चे
बच्चों पर भारी बस्तों का बोझ और उस पर चर्चा परिचर्चा का दौर लम्बे समय से चल रहा है लेकिन अब केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने इसके लिए एक फार्मूला निकाल लिया है ताकि छात्रों को अनावश्यक दबाव से...
बच्चों पर भारी बस्तों का बोझ और उस पर चर्चा परिचर्चा का दौर लम्बे समय से चल रहा है लेकिन अब केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने इसके लिए एक फार्मूला निकाल लिया है ताकि छात्रों को अनावश्यक दबाव से निजात मिल सके।
सभी विद्यालयों को जारी परिपत्र में केवीएस ने स्कूली छात्रों के बस्ते के वजन के संबंध में मापदंड तय किए हैं। इन मापदंडों के अनुसार पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के स्कूल बैग का वजन दो किलो से अधिक नहीं होना चाहिए जबकि कक्षा तीन और चार के बच्चों के बस्ते की वजन तीन किलो से कम होना चाहिए।
इसी प्रकार, पांचवीं से आठवी कक्षा के बच्चों के स्कूली बस्ते का वजन चार किलो से अधिक नहीं होना चाहिए जबकि आठवीं से 11वीं कक्षा के छात्रों के बस्ते का अधिकतम वजन छह किलो निर्धारित किया गया है।
परिपत्र के अनुसार यह बच्चों के अधिकारों का खुला हनन है कि उनके उम्र का ख्याल नहीं करते हुए उन पर बस्ते का भार डाला जा रहा है जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। स्कूली प्रणाली पर बच्चों के साथ इस प्रकार की क्रूरता के लिए जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
अन्य स्कूलों के लिए उदाहरण पेश करते हुए केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने स्कूल के प्राचार्यों से इस परिपत्र पर सख्ती से अमल करने का निर्देश दिया है। परिपत्र में कहा गया है कि मनोवैज्ञानिक उपचार से संबंधित सुझाव के तहत एक बच्चों को अपने वजन के पांचवे हिस्से से अधिक भार अपनी पीठ पर नहीं ढोना चाहिए ताकि उनकी रीढ़ और हडि्डयां सुरक्षित एवं मजबूत रह सके। प्राचार्यों से निर्धारित सीमा के तहत बस्ते का वजन सुनिश्चित करने के लिए कुछ कदम उठाने को कहा गया है।
इसके प्रारंभिक कदम के तहत बच्चों को स्कूल में एक विषय के लिए एक नोटबुक लाने की व्यवस्था बनाने और प्रतिदिन पाठ्यपुस्तक स्कूल लाने के लिए मजबूर नहीं करना सुनिश्चित करने को कहा गया है।