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गंगा किनारे दिखे आस्था के अनेक रूप

हरिद्वार में गंगा के किनारे आस्था के अनेक रूपों के दर्शन हो जाएंगे। यहां हर कोई जाति, उम्र, रंग और देश की सीमाओं से ऊपर उठकर पवित्र गंगा में डुबकी लगाना चाहता है। जर्मनी के हैम्बर्ग शहर से आए फॉर...

गंगा किनारे दिखे आस्था के अनेक रूप
एजेंसीThu, 14 Jan 2010 02:00 PM
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हरिद्वार में गंगा के किनारे आस्था के अनेक रूपों के दर्शन हो जाएंगे। यहां हर कोई जाति, उम्र, रंग और देश की सीमाओं से ऊपर उठकर पवित्र गंगा में डुबकी लगाना चाहता है।

जर्मनी के हैम्बर्ग शहर से आए फॉर हार्डी भी ऐसे शख्स हैं जिन्हें आस्था यहां खींच लाई है। पेशे से इंजीनियर हार्डी हिंदू धर्म से जुड़ी सभी परंपराओं का निर्वहन करते हैं। गंगा में डुबकी लगाकर वह खुद उसी तरह धन्य मानते हैं जैसे कोई आस्थावान हिंदू मानता हो।

हार्डी ने कहा, '' मैंने कुंभ के बारे में सुना था और पहला मौका है जब मैं भारत आया हूं। मेरी एशिया यात्रा के दौरान मेले में आना एक संयोग है।''

ऑस्ट्रेलिया के एक फिजियो भी यहां पहुंचे हैं। उनका कहना है कि कुंभ मेला हिंदू आध्यात्म के सार को बताता है। उन्होंने कहा, ''मुझे शोरगुल अच्छा लगता है। मैं दो साल पहले वाराणसी में था और यह पहली बार है जब मैं कुंभ में आया हूं।''

कुंभ में सिर्फ विदेशी ही नहीं बल्कि देश के हर कोने से भी लोग यहां पहुंचे हैं। 20 गुजराती श्रद्धालुओं का एक समूह भी यहां पहुंचा है। इसमें अहमदाबाद, गांधीनगर और लंदन के लोग शामिल हैं।

इस समूह की अगुवाई कर रहे दानसिंह पारमेर ने कहा, ''हम हर कुंभ मेला पर पवित्र स्नान के लिए हरिद्वार आते हैं। हम लोगों की यहां आस्था है।''

दिगांबर अखाड़ से जुड़े पुजारी मोहन दास का कहना है, ''मैं भक्तों के लिए 'संकल्प' लाया था। ऐसा कहा जाता है कि पवित्र स्नान से लोगों की परेशानियां धुल जाती हैं। भक्त चाहते हैं कि जब वे स्नान करें तो मैं उनके लिए प्रार्थना करूं।''

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