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सांताक्लॉज की स्लेज गाड़ी

क्रिसमस के मौके पर तुमने सांताक्लॉज की बहुत सी फोटो देखी होंगी। उनमें से कुछ फोटोज में तुमने सांताक्लॉज को एक स्लेज गाड़ी पर बैठे देखा होगा, जिसे हिरन जैसे सात-आठ जानवर खींच रहे होते हैं। वह जानवर...

सांताक्लॉज की स्लेज गाड़ी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 13 Jan 2010 01:54 PM
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क्रिसमस के मौके पर तुमने सांताक्लॉज की बहुत सी फोटो देखी होंगी। उनमें से कुछ फोटोज में तुमने सांताक्लॉज को एक स्लेज गाड़ी पर बैठे देखा होगा, जिसे हिरन जैसे सात-आठ जानवर खींच रहे होते हैं। वह जानवर रेंडियर कहलाता है। क्रिसमस की बहुत-सी पोयम्स यानी कविताओं में इनके नाम आते हैं। रेंडियर मुख्यत ध्रुवीय और टुंड्रा प्रदेशों में पाये जाते हैं। 20वीं शताब्दी से पूर्व यह एक बहुत बड़े क्षेत्र में पाये जाते थे, लेकिन आज यह बहुत कम हिस्सों में नजर आते हैं। वाइल्ड रेंडियर अब केवल नार्वे, साइबेरिया, ग्रीनलैंड, अलास्का और कनाडा में देखे जाते हैं। पालतू रेंडियर अधिकतर रूस, आइसलैंड और उत्तरी स्केन्डिनेविया देशों में होते हैं। यहां इन्हें 18वीं शताब्दी में विशेष रूप से लाया गया था। दरअसल आज दुनिया में रेंडियर की तादाद काफी कम हो गई है।  नर रेंडियर की तरह मादा रेंडियर के भी सींग होते हैं। एक नर रेंडियर साढ़े पांच से सात फुट तक लम्बा तथा साढ़े तीन से पांच फुट तक ऊंचा होता है। इसका वजन 100 कि.ग्रा़ से 320 कि.ग्रा़ के मध्य हो सकता है। मादा रेंडियर का आकार एवं वजन इनसे कम होता है, लेकिन इसकी पूंछ बहुत छोटी होती है। जानते हो, यह ठंडे प्रदेशों मे रहते हैं तो प्रकृति ने इनके शरीर की संरचना उसी के अनुरूप बनाई है। इनकी खाल पर दोहरी परत होती है। एक परत पर घने समान फर होते हैं तो दूसरी परत लम्बे बालों के रूप में होती है। यह बाल ऐसे होते हैं कि इनमें हवा भरी होती है, जिससे इनकी ठंड से रक्षा होती है। इनकी नाक ऐसी होती है कि जब यह सांस लेते हैं तो अंदर जाने वाली वायु शरीर की गर्मी से गर्म होकर फेफड़ों तक पहुंचती है। इसी प्रकार इनके पैर भी कुछ अनोखे होते हैं। गर्मी में इनके खुरों के नीचे का भाग गुदगुदा हो जाता है तो सर्दियों में इनके खुर सुकड़ कर सख्त हो जाते हैं। इससे यह बर्फ में फिसलने से बचते हैं, बल्कि इन खुरों की मदद से बर्फ के नीचे छिपे खाने योग्य पदार्थ को खोद कर निकाल लेते हैं। सोचो जरा इन खुरों से यह बर्फ में कई फुट गहरे तक खोद लेते हैं, क्योंकि उस मौसम में आसपास भोजन की कमी हो जाती है। यह वनस्पति, घास, काई, जंगली वृक्षों की पत्तियां और छाल इत्यादि खाने के आदि होते हैं।

रेंडियर एक गतिशील वन्यजीव है और इसे समूह में रहना ही पसंद है। मौसम बदलने पर यह एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर पलायन कर जाते हैं। जानते हो यह एक साल में पांच हजार किलोमीटर तक दूरी तय कर लेते हैं। जब एक साथ हजारों रेंडियर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र की ओर पलायन करते हैं तो अनोखा दृश्य होता है। रास्ते में आने वाली नदियों, ङीलों आदि को यह तैर कर आराम से पार कर जाते हैं। स्तनपायी जीवों में रेंडियर ही एक ऐसा प्राणी है, जो अपने जीवन में इतनी दूर-दूर तक यात्रा करता है। जरूरत पड़ने पर ये लगभग 80 कि.मी.़ प्रतिघंटा की गति से दौड़ सकते हैं। मार्ग में इन्हें शिकारी जानवरों से बचना होता है, खास कर इनके छोटे बच्चों को मांसाहारी प्राणियों से खतरा होता है। गोल्डन ईगल, ब्राउन बीयर, पोलर बीयर, भेड़िये, लोमड़ी जैसे जानवर इनका शिकार करते हैं। वैसे प्राकृतिक रूप से इनका जीवन काल 12 से 15 वर्ष के मध्य होता है।

ध्रुवीय वृत्त के क्षेत्रों में यह वहां रहने वाले जनजातीय लोगों की अर्थव्यवस्था का हिस्सा होते हैं। हिरन की प्रजाति का अन्य कोई जीव पालतू नहीं बनाया जा सकता, लेकिन वहां लोग इन्हें पालतू बनाते हैं। साईबेरिया जैसे बर्फीले इलाकों में यह स्लेज खींच कर आवागमन में सहायक होते हैं। इनकी खाल के कपड़े भी बनाये जाते हैं। इनके सींग के औजार बनते हैं तथा यह दवाओं में भी प्रयोग होते हैं। इसके अलावा वहां के लोग रेंडियर का मांस खाने के आदि भी होते हैं। स्केन्डिनेविया में तो इनका मांस पैक होकर स्टोर्स में मिलता है तथा फिनलैंड में रेंडियर सॉस बहुत पसंद की जाती है। यही वजह है कि मनुष्य के कारण भी इनके अस्तित्व को खतरा बना रहता है। वैसे अब बहुत से क्षेत्रों में इनके संरक्षण के प्रयास शुरू हो चुके हैं।

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