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मोक्ष की तलाश में संत-गृहस्थ एक घाट

शरद ऋतु की फसल जब तैयार होती है और सूर्य भगवान जब अपनी उत्तरायण यात्रा प्रारंभ करते हैं, ऐसे समय प्रत्येक छह साल पर धर्मनगरी की ओर लाखों लोग गंगा स्नान के लिए यात्रा करते हैं। यह समय अर्धकुंभ या कुंभ...

मोक्ष की तलाश में संत-गृहस्थ एक घाट
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 09 Jan 2010 03:55 PM
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शरद ऋतु की फसल जब तैयार होती है और सूर्य भगवान जब अपनी उत्तरायण यात्रा प्रारंभ करते हैं, ऐसे समय प्रत्येक छह साल पर धर्मनगरी की ओर लाखों लोग गंगा स्नान के लिए यात्रा करते हैं। यह समय अर्धकुंभ या कुंभ का होता है। इस वर्ष यह यात्रा 14 जनवरी को मकर संक्रांति से शुरू हो रही है। यह वर्ष कुंभ का वर्ष है। धार्मिक मान्यताओं का पालन करने के लिए लाखों लोग चलेंगे शताब्दियों पुराने मार्गों पर। इन मार्गों को भले ही अब राष्ट्रीय राजमार्गो के रूप में चिह्नित किया जाता है, लेकिन कमोबेश श्रद्धालुओं के कुंभ नगरी पहुंचने के परंपरागत मार्ग वही हैं।

गंगा जल के जरिये अमृत स्नान करके अपने सभी कर्मों से छुटकारा पाकर मोक्ष पाने की तलाश में निकलने वाले दार्शनिकों, संतों, महंतों, अखाड़ों, महामंडलेश्वरों और सामान्य ग्रामवासियों का गंगा तट पर पहुंचना शुरू हो चुका है। नयनाभिराम प्राकृतिक छटा वाले गंगा तटों के मनोहारी दृश्यों, शिवालिक पर्वत श्रृंखलाओं और उन पर घने जंगलों के कारण हरिद्वार साधना करने वालों, गंगा स्नान के जरिये मोक्ष की तलाश करने वालों के आकर्षण का केंद्र होने के साथ ही घुमंतूओं तथा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है।

प्राचीन काल में अपने शांत वातावरण में स्थित एकांत गंगातटों पर ऋषि-मुनियों के आश्रम हुआ करते थे। आज भी इन गंगा तटों पर आश्रम हैं, लेकिन आधुनिक सुख-सुविधाओं से युक्त ये आश्रम पांच सितारा संस्कृति की याद दिलाते हैं। इन आश्रमों के संचालक संतों के भक्त भी सेलीब्रिटीज ही हैं, जो अपने व्यस्ततम समय में से कुछ समय निकाल कर मानसिक शांति के लिए यहां पहुंचते हैं। अगले तीन महीनों में 14 अप्रैल तक जहां तीन शाही स्नानों पर 13 अखाड़ों से जुड़े लाखों जटाजूट वेशधारी नागा और चौड़े ललाटों पर त्रिपुंडधारी वैष्णव साधु गंगा में डुबकी लगाएंगे, वहीं दजर्न भर स्नान पर्वों पर पांच करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु दुनिया भर के अलग-अलग कोनों से गंगा में डुबकी लगाने के लिए यहां पहुंचने वाले हैं।

अपनी कामनाओं के दीपद्रोण लेकर पहुंचने वाले श्रद्धालु गंगा मैया की जय के साथ उन्हें पतित-पावनी गंगा को साक्षात मां मानकर उसमें प्रवाहित कर देंगे। इन आस्थावान लोगों के लिए गंगा न केवल मृत्यु के बाद मोक्ष प्रदान करने वाली मां है, वरन् वह भौतिक जगत में भी उन पर सुखों की बारिश करती है। गंगा का कल-कल करता प्रवाह मानव जीवन को सदैव कर्मशील रहने की प्रेरणा देने के कारण भी मोक्षदायिनी गंगा के किनारे बसा हरिद्वार एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में अपनी पहचान बना सका। कुंभ में जहां आपको बड़े परदे के तमाम सितारे आदमकद दिखेंगे, वहीं आध्यात्मिक जगत के प्रमुख संतों का अद्भुत संगम होगा। राजनेता और वीवीआईपी भी एक डुबकी लगाकर पुण्य लाभ की कामना लेकर यहां पहुंचेंगे। गंगातट पर शाम को होने वाली नयनाभिराम गंगा आरती हर खास ओ आम को धर्मगंगा में गोते लगाने को मजबूर कर देती है। अधिकांश वीआईपी इस आरती में शामिल होने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं।


थोड़ी सी सावधानी आपको आसानी
कुंभ मेला एक बेहद विशाल मेला है, जिसमें एक ही दिन में लाखों लोग स्नान हेतु गंगा तटों पर एकत्र होते हैं। इसलिए हर व्यक्ति के लिए विशेष सावधानी बरतना जरूरी हो जाता है।

बस स्टैंड आदि शहर के बाहर हैं। ठहरने के स्थान एवं स्नान के लिए दो-चार किलोमीटर पैदल चलना होता है। इसलिए यह जरूरी है कि अपने साथ कम से कम सामान ले जाएं। रेलगाड़ी से जाना हो तो आरक्षण पहले ही करा कर जाएं।

हर की पौड़ी पर स्नान के समय पैदल आने-जाने वालों के लिए भी एक तरफ आवागमन की व्यवस्था करनी होती है। उस समय भी श्रद्घालुओं में काफी दूर तक पैदल चलने की क्षमता होनी जरूरी है।

घाट पर जंजीर पकड़ कर स्नान करें तथा जल्दी स्नान कर बाहर आ जाएं ताकि अन्य लोग भी स्नान कर पुण्य के भागी बन सकें। उस समय अपने सामान की रक्षा भी आपको स्वयं करनी होगी। ध्यान रहे भीड़ में शामिल चोर-उचक्के आपके सामान पर दृष्टि गड़ाए होते हैं।

किसी अनजान पर भरोसा बिल्कुल न करें तथा उससे कोई खाने-पीने की वस्तु भी न लें। भले ही वह प्रसाद कहकर दे। दान एवं चंदा आदि मंदिर के दानपात्र आदि में ही डालें। घाट पर रसीदबुक लेकर घूमते व्यक्ति ठग भी हो सकते हैं।

गंगा एवं इसके घाटों की पवित्रता बनाए रखें। गंदगी आदि नदी में प्रवाहित न करें। प्लास्टिक आदि का कचरा उपयुक्त स्थानों पर ही डालें।

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