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महंगाई व राष्ट्रमंडल ने खाई शीला की जान

दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का तीसरी बार सत्ता हासिल करने का नशा साल गुजरते- गुजरते काफूर हो गया, जब उसे राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की चुनौती...

महंगाई व राष्ट्रमंडल ने खाई शीला की जान
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 30 Dec 2009 12:29 PM
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दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का तीसरी बार सत्ता हासिल करने का नशा साल गुजरते- गुजरते काफूर हो गया, जब उसे राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की चुनौती का सामना करना पड़ा और धन जुटाने के लिए बस भाड़ा तथा पानी का शुल्क बढ़ाना पड़ा। इस दौरान बढ़ती महंगाई भी उसके जी का जंजाल बनी रही।

मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को अगले वर्ष राजधानी में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों को लेकर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। आखिरकार उन्होंने सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ने में ही भलाई समझी और उनके इस बयान से उनकी बेबसी साफ नजर आई कि भगवान ने चाहा तो राष्ट्रमंडल खेलों की परियोजनाएं समय पर पूरी हो जाएंगी और दुनिया के सामने भारत की इज्जत खराब नहीं होगी।

हालांकि सितंबर के बाद से राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी दिल्ली सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है। दीक्षित ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों का सफल आयोजन इस समय मेरा एक सूत्री एजेंडा है। इस वर्ष सब्जियों, दालों और आटे की आसमान छूती कीमतों ने सरकार की नींद हराम कर दी और उसे शहर में एक सौ विशेष दुकानों पर दालें और गेहूं का आटा सस्ते दाम पर बेचने की व्यवस्था करनी पड़ी। खुदरा बाजार में बढ़ते दामों पर अंकुश लगाने में नाकाम सरकार के इस कदम से कुछ लोगों ने जरूर राहत की सांस ली।

सरकार को वैश्विक आर्थिक मंदी के असर से दो चार होना पड़ा, जब उसकी कर वसूली मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 400 करोड़ रुपए घट गई। इस नुकसान को पूरा करने के लिए सरकार ने कई उपाय किए। दिल्ली सरकार ने धन जुटाने की कवायद के तहत उपभोक्ताओं की कुछ श्रेणियों को दी जा रही 200 करोड़ रुपए की विद्युत रियायत वापस ले ली। इसके अलावा बस भाड़े में वृद्धि कर दी गई और पानी का शुल्क भी बढ़ा दिया गया।

सरकार के लिए इस दौरान राहत की बात सिर्फ यही रही कि विपक्ष के रूप में भारतीय जनता पार्टी इन हालात का फायदा नहीं उठा पाई और सरकार पर किसी तरह का दबाव बनाने में नाकाम रही। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन से जुड़ी कई परियोजनाओं के लिए धन की कमी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने केन्द्र से अतिरिक्त धन की मांग की और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने खेलों के लिए अंतरिम बजट में आवंटित 2,112 करोड़ रुपए की राशि को मुख्य बजट में बढ़ाकर 3,472 कर दिया।

तीसरी बार सत्ता का तोहफा देने वाली दिल्ली की जनता को धन्यवाद देते हुए दिल्ली सरकार ने 2009-10 के अपने बजट में कोई नया कर नहीं लगाया और राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 2,105 करोड़ रूपए निर्धारित किए। स्वाइन फ्लू के प्रसार ने भी दिल्ली सरकार की नींद उड़ाए रखी। सरकार ने इस बीमारी के शिकार रोगियों के उचित उपचार के लिए कई कदम उठाए।

दिल्ली सरकार ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में जनवरी में प्लास्टिक के थैलों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी और इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के लिए एक लाख रुपया जुर्माना अथवा पांच वर्ष के कारावास या दोनों सजा का प्रावधान किया। सरकार ने राजधानी की परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए 900 लो फ्लोर बसों को डीटीसी के बेड़े में शामिल किया और इसी तरह के 3000 अन्य वाहनों का ऑर्डर दिया, ताकि हत्यारी ब्लूलाइन बसों से दिल्ली के लोगों को निजात दिलाई जा सके।

हालांकि आए दिन लो फ्लोर बसों में आग लगने की घटनाओं ने सरकार की योजना को पलीता लगा दिया। परिवहन विभाग ने बस निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स पर चार करोड़ रूपए का जुर्माना लगाकर अपनी भड़ास निकाली और बसों की गहन जांच के आदेश दिए। जुलाई और अगस्त के महीने में बिजली और पानी की कमी ने लोगों का जीना हराम कर दिया और सरकार को महंगे दामों पर पानी खरीदकर दिल्ली की जनता की प्यास बुझानी पड़ी।

विद्युत आपूर्ति कंपनी बीएसईएस के कामकाज से नाराज सरकार ने कंपनी को चेतावनी दी कि अगर हालात नहीं सुधरे तो कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली के विद्युत नियामक संगठन डीईआरसी ने बीएसईएस पर एक करोड़ 68 लाख का जुर्माना लगाया। एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सरकार ने लंबे इंतजार के बाद अपनी आबकारी नीति घोषित कर दी, जिसमें शराब पीने और बेचने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया। इनमें सार्वजनिक स्थलों पर शराब पीने वालों पर जुर्माना बढ़ा दिया गया।

जेसिका लाल हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे मनु शर्मा को पैरोल देने की सिफारिश करके मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने एक और विवाद को जन्म दे दिया। हालांकि शीला ने यह कहकर बचने की कोशिश की कि उन्होंने कानून के तहत ऐसा किया। सितंबर में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा, जब उप चुनाव में विधानसभा की दो सीटें उसके हाथ से निकल गईं। इनमें एक सीट भाजपा के खाते में गई, जबकि दूसरी राजद के।

नवंबर में दिल्ली ने भी न्यूयार्क, लंदन और पेरिस की तर्ज पर एक अनोखा पोर्टल शुरू किया, जिसमें अस्पताल, स्कूल, टेलीफोन लाइन और वाटर पाइप जैसी तमाम सुविधाओं के बारे में त्रिस्तरीय डिजिटल स्वरूप में जानकारी उपलब्ध कराई गई।

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