पढ़िए थ्री इडियट्स के गाने
गीतकार- स्वानंद किरकिरे म्यूज़िक- शांतुनु मोइत्रा डायरेक्टर- राजकुमार हिरानी प्रोड्यूसर- विधु विनोद चोपड़ा मूवी कास्ट- आमिर खान, करीना कपूर, शरमन जोशी, माधवन, बोमन ईरानी 1. ऑल इज़...
गीतकार- स्वानंद किरकिरे
म्यूज़िक- शांतुनु मोइत्रा
डायरेक्टर- राजकुमार हिरानी
प्रोड्यूसर- विधु विनोद चोपड़ा
मूवी कास्ट- आमिर खान, करीना कपूर, शरमन जोशी, माधवन, बोमन ईरानी
1. ऑल इज़ वेल
गायक- सोनू निगम, स्वानंद किरकिरे और शान
“ जब लाइफ़ हो आउट ऑफ कंट्रोल
होंठो को करके गोल
होंठो को करके गोल
सीटी बजाके बोल
ऑल इज़ वेल.....
मुर्गी क्या जाने अंडे का क्या होगा
अरे लाइफ़ मिलेगी या तवे पे फ़्राई होगा
कोई ना जाने अपना फ़्यूचर क्या होगा
होंठ घुमा, सीटा बजा
सीटी बजाके बोल भइया
ऑल इज़ वेल...
अरे भइया ऑल इज़ वेल..
अरे चाचू ऑल इज़ वेल..
कन्फ़्यूज़न ही कन्फ़्यूज़न है
सोल्यूशन कुछ पता नहीं
सोल्यूशन जो मिला तो साला
क्वेशचन क्या था पता नहीं
दिल जो तेरा बात-बात पे घबराए
दिल पे रखके हाथ उसे तु फ़ुसला ले
दिल इडियट है प्यार से उसको समझा ले
होंठ घुमा, सीटा बजा
सीटी बजाके बोल भइया
ऑल इज़ वेल...
अरे भइया ऑल इज़ वेल..
अरे चाचू ऑल इज़ वेल..
स्कोलरशिप की पी गया दारू
ग़म तो फिर भी मिटा नहीं
अगरबत्तियां राख हो गई
गॉड तो फिर भी दिखा नहीं
बकरा क्या जाने उसकी जान का क्या होगा
सीख घुसेगी या साला कीमा होगा
कोई ना जाने अपना फ़्यूचर क्या होगा
तो होंठ घुमा, सीटा बजा
सीटी बजाके बोल भइया
ऑल इज़ वेल...
अरे मुर्गी ऑल इज़ वेल..
अरे बकरे ऑल इज़ वेल..
अरे भइया ऑल इज़ वेल.....”
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2. ज़ूबी-डूबी...
गायक- सोनू निगम और श्रेया घोषाल
“ गुनगुनाती हैं ये हवाएं
गुनगुनाता है गगन
गा रहा है ये सारा आलम
ज़ूबी डू... परम..पम
ज़ूबी-डूबी.. ज़ूबी-डूबी पम पारा
ज़ूबी-डूबी परम.. पम..
ज़ूबी-डूबी.. ज़ूबी-डूबी नाचे
क्यूं पागल स्टूपिड मन...
शाखों पे पत्ते गा रहे हैं
फूलों पे भवरे गा रहे हैं
दीवानी किरणें गा रही हैं
ये पंछी गा रहे हैं
बगिया में दो फूलों की
हो रही है ग़ुफ़्तगू
जैसा फिल्मों में होता है
हो रहा है हू-ब-हू...
ज़ूबी-डूबी.. ज़ूबी-डूबी पम पारा
ज़ूबी-डूबी परम.. पम..
ज़ूबी-डूबी.. ज़ूबी-डूबी नाचे
क्यूं पागल स्टूपिड मन...
रिमझिम रिमझिम रिमझिम
सन सन सन सन हवा
टिप टिप टिप टिप बूंदें
गुर्राती बिजलियां
भीगी-भीगी साड़ी में
यूं ठुमके लगाती तू
जैसा फिल्मों में होता है
हो रहा है हू-ब-हू..
ज़ूबी-डूबी.. ज़ूबी-डूबी पम पारा
ज़ूबी-डूबी परम.. पम..
ज़ूबी-डूबी.. ज़ूबी-डूबी नाचे
क्यूं पागल स्टूपिड मन...
अंबर का चांद ज़मी पर
इतराके गा रहा
इक टिम-टिम टूटा तारा
इठलाके गा रहा
है रात अकेली तन्हा
मुझे छू ले आके तू
जैसा फिल्मों में होता है
हो रहा है हू-ब-हू
ज़ूबी-डूबी.. ज़ूबी-डूबी पम पारा
ज़ूबी-डूबी परम.. पम..
ज़ूबी-डूबी.. ज़ूबी-डूबी नाचे
क्यूं पागल स्टूपिड मन...”
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3. गिव मी सम सनशाइन...
गायक- सूरज जगन और शरमन जोशी
“ सारी उम्र हम मर-मरके जी लिए
इक पल तो अब हमें जीने दो जीने दो
सारी उम्र हम मर-मरके जी लिए
इक पल तो अब हमें जीने दो जीने दो
ना ना ना..ना ना ना..
ना ना ना..ना ना ना..
गिव मी सम सनशाइन
गिव मी सम रेन
गिव मी अनदर चांस
वाना ग्रो-अप वंस एगेन
कंधों को किताबों के बोझ ने झुकाया
रिश्वत देना तो खुद पापा ने सीखाया
99% मार्क्स लाओगे तो घड़ी वर्ना छड़ी
लिख-लिखकर पड़ा हथेली पर
एल्फ़ा-बीटा-गाम का छाला
कॉन्संट्रेटिड एच2एसओ4 ने
पूरा..पूरा बचपन जला डाला
बचपन तो गया, जवानी भी गई
इक पल तो अब हमें
जीने दो, जीने दो...
गिव मी सम सनशाइन
गिव मी सम रेन
गिव मी अनदर चांस
वाना ग्रो-अप वंस एगेन...."
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4. जाने नहीं देंगे...
गायक- सोनू निगम
“ जाने नहीं देंगे तूझे
जाने तुझे देंगे नहीं
जाने नहीं देंगे तूझे
जाने तुझे देंगे नहीं
चाहे तुझको रब बुला ले
हम ना रब से डरने वाले
राहों में डटके खड़े हैं हम
यारों से नज़रें चुरा ले
चाहे कितना दम लगा ले
जाने ना तुझको ऐसे देंगे हम..
जाने नहीं देंगे तूझे
जाने तुझे देंगे नहीं
दो कदम का ये सफ़र है
उम्र छोटी सी डगर है
इक कदम में लड़खड़ाया क्यूं
सुन ले यारों की ये बातें
बीतेंगी सब ग़म की रातें
यारों से रूठा है साले क्यूं
जाने नहीं देंगे तूझे
जाने तुझे देंगे नहीं
माँ ने ख़त में क्या लिखा था
जीए तू जुग-जुग ये कहा था
चार पल भी जी ना पाया तू
यारों से नज़रें मिला ले
एक बार तू मुस्कुरा ले
उठ जा साले यूं सताता है क्यूं
जाने नहीं देंगे तूझे
जाने तुझे देंगे नहीं
जाने नहीं देंगे तूझे
जाने तुझे देंगे नहीं..........”
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5. बहती हवा सा...
गायक- शान और शांतुनु मोइत्रा
“ बहती हवा सा था वो
उड़ती पतंग सा था वो
कहां गया उसे ढूंढो...
हमको तो राहें थी चलाती
वो ख़ुद अपनी राह बनाता
गिरता-संभलता, मस्ती में चलता था वो..
हमको कल की फ़िक़्र सताती
वो बस आज का जश्न मनाता
हर लम्हे को खुलके जीता था वो....
कहां से आया था वो..
छूके हमारे दिल को..
कहां गया उसे ढूंढो..
सुलगती धूप में छांव के जैसा
रेगिस्तान में गांव के जैसा
मन के घाव पे मरहम जैसा था वो..
हम सहमे से रहते कुएं में
वो नदिया में गोते लगाता
उल्टी धारा चीर के तैरता था वो...
बादल अवारा था वो
यार हमारा था वो
कहां गया उसे ढूंढो...”
प्रस्तुति- पुनीत भारद्वाज