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Hindi Newsनरसिम्हा राव को क्लीन चिट देना हास्यास्पद: मुस्लिम बोर्ड

नरसिम्हा राव को क्लीन चिट देना हास्यास्पद: मुस्लिम बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल ला बोर्ड ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लिब्रहान आयोग द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दिए जाने पर आपत्ति जताने के साथ ही मुस्लिम संगठनों की भूमिका...

नरसिम्हा राव को क्लीन चिट देना हास्यास्पद: मुस्लिम बोर्ड
एजेंसीSat, 28 Nov 2009 03:34 PM
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ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल ला बोर्ड ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लिब्रहान आयोग द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दिए जाने पर आपत्ति जताने के साथ ही मुस्लिम संगठनों की भूमिका के बारे में कतिपय टिप्पणियों पर सवाल उठाते हुए उन्हें दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
    
बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महल ने बातचीत में कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राव को क्लीन चिट दिया जाना अपने आप में एक बड़ा मजाक है।
 
उन्होंने आयोग की इस कथित टिप्पणी पर भी आपत्ति जताई कि बोर्ड और मुस्लिम संगठनों ने बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना रूख स्पष्ट नहीं किया और उसके विध्वंस के बाद हुए दंगों में मारे गए लोगों के पुनर्वास के लिए कुछ नहीं किया।
 
उन्होंने कहा कि आयोग ने बोर्ड और मुस्लिम संगठनों द्वारा मुस्लिम समुदाय को प्रतिक्रिया में कोई कदम उठाने से रोकने के लिए किए गए प्रयासों की तारीफ करने के बजाय उनकी भूमिका पर ही सवाल खड़ा कर दिया, जो अनुचित है। इसलिए भी कि अगर बोर्ड और मुस्लिम संगठनों ने जगह-जगह बैठकें करके और मुस्लिम समुदाय को समझा कर प्रतिक्रिया स्वरूप बदले की कार्रवाई करने से रोका न होता तो स्थिति और भी बिगड़ सकती थी।

मौलाना फिरंगी महल ने कहा कि हालांकि दंगो में प्रभावित लोगों का पुनर्वास हालांकि सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन हमने इस दिशा में अपने स्तर पर भरसक योगदान किया और मुसलमानों ही नही बल्कि दंगों से प्रभावित हिन्दुओं की भी यथासंभव सहायता की।

मौलाना फिरंगी महल ने ईदगाह के नायब इमाम की हैसियत से बकरीद के मौके पर अपने धार्मिक प्रवचन  'खुदबा' में मुस्लिम समुदाय को लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी और आरोप लगाया कि इस रिपोर्ट से यह साबित हो गया कि मुस्लिम समुदाय से जुड़े सवालों पर सभी राजनीतिक दलों का रुख एक सा है।
   
उन्होंने सवाल करने के अंदाज में कहा कि अगर मुसलमानो से जुड़े सवालों पर सभी राजनीतिक दलों का रुख का एक सा नहीं है तो फिर आयोग की रिपोर्ट पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई रिपोर्ट में किसी दोषी को सजा की अनुसंशा क्यों नही की गई।
 
उन्होंने कहा कि आयोग आखिर इस बात पर खामोश क्यों रहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए दंगों में दो हजार से अधिक लोगों की मौत के लिए दोषी लोगों को क्या सजा मिलनी चाहिए।
     
मौलाना फिरंगी महल ने कहा कि हमने बहरहाल तमाम मुस्लिम संगठनों को यह सलाह दी है कि वे ऐसी कोई प्रतिक्रिया न करें, जिससे फिरकापरस्त ताकतों को कोई मौका मिले।

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