राष्ट्रपति का `सारथी' बनना सम्मान की बातः पायलट
राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को बुधवार को सह-पायलट की सीट पर बैठाकर लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई को उड़ाने वाले पायलट विंग कमांडर ए साजन का कहना है कि यह उनके लिए सम्मान और प्रसन्नता की बात...
राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को बुधवार को सह-पायलट की सीट पर बैठाकर लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई को उड़ाने वाले पायलट विंग कमांडर ए साजन का कहना है कि यह उनके लिए सम्मान और प्रसन्नता की बात है।
उड़ान लौटने के बाद साजन ने कहा, ''इस अनुभव से मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं और राष्ट्रपति को बैठाकर सुखोई उड़ाने से मुझे बहुत खुशी हुई।''
पुणे के बाहरी हिस्से में स्थित वायु सेना के लोहेगांव बेस से साजन ने बेहद कुशल तरीके से सुखाई उड़ाया। वायु सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि विमान ने 10,000 फुट की ऊंचाई पर लगभग 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरी, परंतु यह 1,100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के सुपरसोनिक स्तर पर नहीं गया।
साजन ने कहा, ''सुखोई में पहुंचने लेकर उड़ान भरने के दौरान और उतरने तक राष्ट्रपति बहुत उत्साहित रहीं। वह उड़ान के लिए कुछ समय से तैयारी कर रही थीं और उड़ान के भीतर परिचालन संबंधी बातों को जानने के लिए उत्सुक थीं। हमने 600 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से शुरूआत की और उसके बाद 700 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार तक पहुंचे और उसके बाद उन्होंने कहा कि वह कुछ तेज गति चाहती हैं, तो हमने करीब 800 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार रखी।'' साजन ने बताया कि राष्ट्रपति लड़ाकू विमान के कुछ कंट्रोल भी संभाले।
राष्ट्रपति ने सुखोई में सुबह 10.55 बजे उड़ान भरी। इससे पहले लोहेगांव बेस पहुंचने पर पाटिल को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया। चिकित्सा जांच के बाद पाटिल ने एक विशेष जी-सूट धारण किया, जो उड़ान के दौरान उच्च गुरुत्वाकर्षण दबाव के साथ सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है।
उल्लेखनीय है कि साजन के पास सुखोई परिवार के लड़ाकू विमानों को 3,200 घंटें से अधिक समय तक उड़ाने का अनुभव है।
राष्ट्रपति की इस ऐतिहासिक उड़ान का गवाह बनने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया बड़ी संख्या में मौजूद था। इसके अलावा महाराष्ट्र के गवर्नर एस. सी. जमीर और वायु सेना प्रमुख पी. वी. नाइक भी यहां उपस्थित थे।