फोटो गैलरी

Hindi Newsकुपोषण के कारण भारतीय बच्चों का विकास अवरुद्ध: संराष्ट्र

कुपोषण के कारण भारतीय बच्चों का विकास अवरुद्ध: संराष्ट्र

भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चों की संख्या काफी अधिक है जिनका कुपोषण के कारण विकास अवरुद्ध हो गया है। यूनीसेफ की ताजा रपट के अनुसार विकासशील दुनिया में पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 20 करोड़...

कुपोषण के कारण भारतीय बच्चों का विकास अवरुद्ध: संराष्ट्र
एजेंसीThu, 12 Nov 2009 10:24 AM
ऐप पर पढ़ें

भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चों की संख्या काफी अधिक है जिनका कुपोषण के कारण विकास अवरुद्ध हो गया है। यूनीसेफ की ताजा रपट के अनुसार विकासशील दुनिया में पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 20 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जिनका कुपोषण के कारण विकास अवरुद्ध हो गया है।

बाल विकास एवं मातृत्व पोषण प्रगति स्थिति रपट के अनुसार बच्चों का विकास अवरुद्ध होने का प्रधान कारण बचपन में कुपोषण रहा है। यह पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में एक तिहाई मौतों का प्रमुख कारण भी है।

भारत में पांच वर्ष से कम आयु वर्ग में कम वजन वाले बच्चों की संख्या भी अधिक है। इसके अलावा दुनिया में विभिन्न कारणों से मौत का सामना करने वाले बच्चों की एक तिहाई संख्या भारत में है।

रपट के अनुसार विकासशील देशों में प्रति वर्ष जन्मे कम वजन वाले 1.9 करोड़ बच्चों में 74 लाख बच्चे भारत के होते हैं, जो सर्वाधिक है। संयुक्त राष्ट्र की रपट के अनुसार विकासशील विश्व के 80 प्रतिशत अविकसित बच्चों 24 देशों में रह रहे हैं।

यूनिसेफ प्रमुख एन्न एम वेनेमैन ने कहा कि कुपोषण के कारण बच्चों की शक्ति क्षीण हो जाती है और वह बीमार हो जाता है जिसके कारण शरीर और जीर्ण शीर्ण हो जाता है।

उन्होंने कहा कि न्यूमोनिया, डायरिया और अन्य रोगों के कारण जिन बच्चों की मौत होती है उनमें से एक तिहाई से अधिक बच्चे अगर कुपोषण का शिकार नहीं होते तो उन्हें बचाया जा सकता था।

भारत में कुपोषण के कारण अविकसित बच्चों की अधिक संख्या का कारण देश की आबादी अधिक होना है। कुपोषण के कारण अविकसित बच्चों की व्यापकता के मामले में अफगानिस्तान पहले नंबर पर है जबकि भारत का स्थान 12वां है।

पांच वर्ष के कम आयु वर्ग के कम वजन वाले बच्चों की व्यापकता के संदर्भ में 17 देशों में यह दर 30 प्रतिशत से अधिक है। इस श्रेणी में अधिक व्यापकता दर वाले देशों में बांग्लादेश, भारत, तिमोर लेस्ते और यमन शामिल है जहां कम वजन वाले बच्चों की व्यापकता दर 40 प्रतिशत से अधिक है।

रपट में कहा गया है कि पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में विकासशील देशों में 13 प्रतिशत ऐसे बच्चे हैं जो विभिन्न कारणों से मौत का सामना कर रहे हैं। इसमें पांच प्रतिशत बच्चों की स्थिति गंभीर है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें