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मंजिल अब दूर नहीं

पिछले दो-तीन वर्षो में देश में एक के बाद एक होने वाले फैशन मेलों की संख्या पहले से काफी बढ़ गई है। हालत यह हो चली है कि एक ही शहर में दो अलग-अलग स्थानों पर दो अलग-अलग संस्थाएं फैशन वीक के आयोजनों में...

मंजिल अब दूर नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 29 Oct 2009 01:13 PM
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पिछले दो-तीन वर्षो में देश में एक के बाद एक होने वाले फैशन मेलों की संख्या पहले से काफी बढ़ गई है। हालत यह हो चली है कि एक ही शहर में दो अलग-अलग स्थानों पर दो अलग-अलग संस्थाएं फैशन वीक के आयोजनों में जुटी नजर आयीं। ज्यादा दूर न जाएं और बीते दो महीनों के दौरान देश के तीन महानगरों में हुए फैशन वीक के बारे में बात करें तो एक के बाद एक होने वाले इन आयोजनों में न केवल मॉडल्स क्राइसिस देखी गयी, बल्कि सिलेब्रिटीज की कमी भी महसूस की गयी। चूंकि यह सभी फैशन मेले अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए गये थे, सो इनमें भाग लेने के लिए फैशन से जुड़े विदेशी जानकारों, दिग्गजों, खरीदारों और खरीद एजेंटों के साथ-साथ भारी संख्या में विदेशी सैलानी भी भारत आए। ऐसे में आयोजनों का लगातार बढ़ता सिलसिला भारत को न सिर्फ फैशन हब के रूप में विकसित कर रहा है, बल्कि विदेशों की तर्ज पर भारत में फैशन टूरिज्म के लिए आकर्षक संभावनाओं को भी जन्म दे रहा है।
 
गौरतलब है कि बीते अगस्त माह में कोलकाता में कोकस द्वारा कोलकाता फैशन फाइल का आयोजन किया गया। यह तीन दिवसीय आयोजन था, जिसे अब देश के दो अन्य महानगरों में आयोजित करने की बात चल रही है। कुछ ही दिनों बाद कोलकाता में ही कोलकाता फैशन वीक का आयोजन किया गया। इस बार आयोजन में देश के चोटी के फिल्मी सितारों, क्रिकेट खिलाड़ियों के अलावा देश की जानी-मानी सिलेब्रिटीज ने रैम्प पर शिरकत की। रैम्प पर चोटी के मॉडल्स भी थे और वो फैशन डिजाइनर भी थे, जो अब से पहले केवल दिल्ली और मुंबई के फैशन मेलों में ही दिखाई देते थे। साफ शब्दों में कहा जए तो दिल्ली और मुंबई के बाद कोलकाता देश का तीसरा बड़ा फैशन हब बनने जा रहा था। यह बात फैशन और टूरिज्म के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए एक अच्छी खबर थी। कोलकाता को नया फैशन हब बनता देख फैशन टूरिज्म की जो खुशबू थोड़ी बहुत उड़नी शुरू हुई तो उसे इस क्षेत्र से जुड़े लोगों ने उद्योग की शीशी में कैद करने में देरी नहीं की।

फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (एफडीसीआई) के निदेशक विनोद कौल के शब्दों में जानें तो भारत इस नए उद्योग यानी फैशन टूरिज्म की ओर तेजी से बढ़ रहा है। पिछले माह दिल्ली में ही आयोजित वन हुसेन इंडिया मेन्स वीक को इस क्षेत्र के लिए एक बड़ा उदाहरण बताते हुए वह कहते हैं, ‘हालांकि यह कहना बहुत जल्दी होगा कि भारत फैशन टूरिज्म के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं कि हम इस दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। अब से एक दशक पहले तक जहां लोग फैशन को सिर्फ किसी खास उत्सव या जश्न से जोड़ कर देखते थे, अब वह रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। फैशन अब सिर्फ फिल्मी सितारों के स्टाइल कॉपी करने का नाम नहीं है।  फैशन के प्रति युवाओं की बढ़ती रुचि इस बात का उदाहरण है कि फैशन के मामले में वे क्रिएटिव हो गए हैं और ब्रांडेड कपड़ों से लेकर हर तरह का प्रयोग करने से भी नहीं हिचकते। फैशन का यह स्वरूप मास लेवल पर बढ़ना शुरू हुआ है, जिसकी वजह से देश में होने वाले फैशन मेलों की संख्या में इजफा हुआ है। यह फैशन टूरिज्म के लिए एक ग्राउंड तैयार करने जैसा है, जो काम भी कर रहा है।’

फैशन टूरिज्म के लिए फैशन मेलों की संख्या बढ़ना ही काफी नहीं है। इसके लिए आधारभूत संरचना के साथ-साथ देश की उच्च फैशन संस्थाओं और पर्यटन संस्थानों को भी साथ होना चाहिये, जसा कि विदेशों में होता है। इस बारे में एफडीसीआई के अध्यक्ष सुनील सेठी कहते हैं, ‘बेशक आज देश में फैशन और उससे जुड़े आयोजनों को एक नई पहचान मिली है। मीडिया ने इन आयोजनों को इस कदर आम लोगों तक पहुंचाया है कि लोगों के लिए फैशन वीक कोई नई चीज नहीं रही। फैशन वीक की संख्या लगातार बढ़ रही है।  फैशन टूरिज्म के लिए यह अच्छी खबर है। पर फैशन मेलों की तरह ही फैशन टूरिज्म को भी अभी लंबा सफर तय करना है, जिसकी शुरुआत मुङो लगता है कि हो चुकी है।’ हाल में दिल्ली में विल्स लाइफस्टाइल इंडिया फैशन वीक संपन्न हुआ। इस फैशन वीक में फैशन डिजाइनरों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या दर्ज की गयी। इस बार फैशन वीक में 110 फैशन डिजइनरों ने भाग लिया। देश-विदेश से आने वाले फैशन खरीदार और एजेन्ट्स की संख्या एक बार फिर पचास के आंकड़े को पार करती दिखी।

इनके साथ-साथ आने वाले अन्य लोगों की बात करें तो आंकड़ा सौ से ऊपर पहुंच जता है। विनोद कौल इस नए ट्रैंड में एक नया तथ्य जोड़ते हुए कहते हैं, ‘वर्ष 2002 और 03 में जब दिल्ली और मुंबई में इंडिया फैशन वीक के आयोजन किए जा रहे थे, तब हमारे सामने विश्व के अन्य देशों में होने वाले फैशन मेलों के साथ तालमेल की दिक्कतें पेश आती थीं। जब हम जुलाई-अगस्त में अपने यहां फैशन वीक आयोजित करते थे तो उस समय जपान, पेरिस, मिलान सरीखे फैशन हब्स में भी विभिन्न स्तर पर फैशन वीक आयोजित होते थे, लेकिन जल्द ही हमने इस संकट से निजत पा ली। काउंसिल के प्रयास रंग लाए और देश में अलग-अलग सीजन के हिसाब से फैशन फोरकास्ट को ध्यान में रख कर फैशन वीक के आयोजन होने लगे। फैशन के प्रति गंभीर देशों ने इस जरूरत को पहचाना और फिर उसी दौरान अपने खरीद एजेंट्स को हमारे आयोजन में भेजना शुरू किया। आज हमें यह परेशानी नहीं होती। भारत में होने वाले फैशन वीक विश्व फैशनेबल कैलेंडर का अहम हिस्सा बन गये हैं।

बेशक इसमें हमारे उन फैशन डिजइनरों की भी अहम भूमिका है, जिन्होंने विदेशों में जकर उच्च स्तरीय फैशन मेलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। हालांकि अभी यह आंकड़े उपलब्ध कराना कठिन होगा कि फैशन टूरिज्म की मदद से कितने पर्यटकों को भारत खींचकर लाया ज सकता है, लेकिन यह उम्मीद कर सकते हैं कि अंतराष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप हो रहे फैशन मेलों में शिरकत के लिए आने वालों की कोई कमी नहीं होगी।’

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