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सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम: हेमामालिनी

प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमा मालिनी बालीवुड की उन गिनी,चुनी अभिनेत्रियों में शामिल हैं, जिनमें सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम देखने को मिलता है। लगभग चार दशक के कैरियर में उन्होंने कई...

सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम: हेमामालिनी
एजेंसीThu, 15 Oct 2009 12:01 PM
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प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमा मालिनी बालीवुड की उन गिनी,चुनी अभिनेत्रियों में शामिल हैं, जिनमें सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम देखने को मिलता है। लगभग चार दशक के कैरियर में उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया लेकिन कैरियर के शुरुआती दौर में उन्हें वह दिन भी देखना पडा था। जब एक निर्माता-निर्देशक ने उन्हें यहां तक कह दिया था कि उनमें स्टार अपील नहीं है।

(ड्रीमगर्ल)हेमा मालिनी ने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा ही था तब एक तमिल निर्देशक श्रीधर ने उन्हें अपनी फिल्म में काम देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उनमें स्टार अपील नहीं है। बाद में सत्तर के दशक में इसी निर्माता-निर्देशक ने उनकी लोकप्रियता को भुनाने के लिए उन्हें लेकर 1973 में (गहरी चाल) फिल्म का निर्माण किया।
हेमा मालिनी फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए 1968 तक संघर्ष करती रहीं लेकिन उन्हें काम नहीं मिला। वह साल उनके सिने कैरियर का सुनहरा वर्ष साबित हुआ जब उन्हें सुप्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक और अभिनेता राजकपूर की फिल्म( सपनों का सौदागर) में पहली बार नायिका के रूप में काम करने का मौका मिला। फिल्म के प्रचार के दौरान हेमा मालिनी को.ड्रीम गर्ल. के रूप में प्रचारित किया गया। बदकिस्मती से फिल्म टिकट खिडकी पर असफल साबित हुई लेकिन अभिनेत्री के रूप में हेमा मालिनी को दर्शकों ने पसंद कर लिया। जया चक्रवर्ती फिल्म निर्माता थीं। घर में फिल्मी माहौल होने से हेमा मालिनी का झुकाव भी फिल्मों की ओर हो गया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चेन्नई से पूरी की। वर्ष 1961 में हेमा मालिनी को एक लघु नाटक .पांडव वनवासम .में बतौर नर्तकी काम करने का अवसर मिला।

हेमा मालिनी को पहली सफलता वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म (जॉनी मेरा नाम)से हासिल हुई। इसमें उनके साथ अभिनेता देवानंद मुख्य भूमिका में थे। फिल्म में हेमा और देवानंद की जोडी को दर्शकों ने सिर आंखों पर लिया और फिल्म सुपरहिट रही। हेमा मालिनी को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता.निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। उन्हें पहला बड़ा ब्रेक उनकी ही फिल्म(अंदाज)1971 से मिला। इसे महज संयोग कहा जाएगा कि निर्देशक के रूप में रमेश सिप्पी की यह पहली फिल्म थी। इस फिल्म में हेमा मालिनी ने राजेश खन्ना की प्रेयसी की भूमिका निभाई जो उनकी मौत के बाद नितांत अकेली हो जाती है। अपने इस किरदार को हेमा मालिनी ने इतनी संजीदगी से निभाया कि दर्शक उस भूमिका को आज भी भूल नही पाए हैं।

 वर्ष 1972 में हेमा मालिनी को रमेश सिप्पी की ही फिल्म (सीता और गीता) में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने कैरियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म की सफलता के बाद वह शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचीं। उन्हें इस फिल्म में दमदार अभिनय केलिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। रमेश सिप्पी निर्देशित फिल्म सीता और गीता में जुड.वा बहनों की कहानी थी जिनमें एक बहन ग्रामीण परिवेश में पली. बढ़ी है और डरी सहमी रहती है जबकि दूसरी तेज तर्रार युवती होती है।

हेमा मालिनी के लिए यह किरदार काफी चुनौती भरा था लेकिन उन्होंने अपने सहज अभिनय से न सिर्फ इसे अमर बना दिया बल्कि भविष्य की पीढ़ी की अभिनेत्रियों के लिए इसे उदाहरण के रूप में पेश किया।बाद में इसी से प्रेरित होकर फिल्म चालबाज .का निर्माण किया गया जिसमें दोहरी भूमिका वाली बहनों का किरदार Þाीदेवी ने निभाया।
 हेमा मालिनी सीता और गीता से फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत की बुलंदियों पर पहुंची लेकिन दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के निर्माण के समय निर्देशक रमेश सिप्पी नायिका की भूमिका के लिए मुमताज का चयन करना चाहते थे लेकिन किसी कारण से वह यह फिल्म नहीं कर सकी। बाद में हेमा मालिनी को इस फिल्म में काम करने का अवसर मिला।
 परदे पर हेमा मालिनी की जोडी धर्मेन्द्र के साथ खूब जमी। यह फिल्मी जोंडी सबसे पहले फिल्म (श्राफत)से चर्चा में आई। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म (शोले) में धर्मेन्द्र ने वीरु और हेमामालिनी ने बसंती की भूमिका में दर्शकों का भरपूर मनोंरजन किया। हेमा और धमेन्द्र की यह जोड़ी इतनी अधिक पसंद की गई कि धर्मेन्द्र की रील लाइफ की (ड्रीम गर्ल) हेमामालिनी उनके रीयल लाइफ की ड्रीम गर्ल बन गईं। बाद में इस जोड़ी ने ड्रीम गर्ल चरस आसपास प्रतिग्या राजा जानी रजिया सुल्तान अली बाबा चालीस चोर बगावत आतंक द बर्निंग ट्रेन चरस दोस्त आदि फिल्मों में एक साथ काम किया।

वर्ष 1975 हेमा मालिनी के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। उस वर्ष उनकी संन्यासी धर्मात्मा खूशबू और प्रतिग्या जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुई। उसी वर्ष हेमा मालिनी को अपने प्रिय निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्म (शोले) में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में अपने अल्हड. अंदाज से हेमा मालिनी ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। फिल्म में हेमा मालिनी के संवाद उन दिनों दर्शकों की जुबान पर चढ. गए और आज भी सिने प्रेमी उन संवादों की चर्चा करते हैं।

सत्तर के दशक में हेमा मालिनी पर आरोप लगने लगे कि वह केवल ग्लैमर वाले किरदार ही निभा सकती है लेकिन उन्होंने खुशबू 1975 किनारा 1977 और मीरा 1979 जैसी फिल्मों में संजीदा किरदार निभाकर अपने आलोचकों का मुंह हमेशा के लिए बंद कर दिया।इस दौरान हेमा मालिनी के सौंदर्य और अभिनयका जलवा छाया हुआ था। इसी को देखते हुए निर्माता प्रमोद चक्रवर्ती ने उन्हें लेकर फिल्म .ड्रीम गर्ल .का निर्माण तक कर दिया।

 वर्ष 1990 में हेमा मालिनी ने छोटे पर्दे की ओर भी रूख किया और धारावाहिक नुपूर का निर्देशन भी किया।इसके बाद वर्ष 1992 में फिल्म अभिनेता शाहरूख खान को लेकर उन्होंने फिल्म (दिल आशना है) का निर्माण और निर्देशन किया।वर्ष 1995 में उन्होंने छोटे पर्दे के लिए .मोहिनी .का निर्माण और निर्देशन किया।

 फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद हेमा मालिनी ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से राज्य सभा की सदस्य बनीं। हेमा मालिनी को फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1999 में फिल्मफेयर का लाइफटाइम एचीश्री सम्मान से भी सम्मानित की गईं।

हेमा मालिनी ने अपने चार दशक के सिने कैरयिर में लगभग 150 फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं: सीता और गीता 1972, प्रेम नगर अमीर गरीब 1974, शोले 1975, महबूबा चरस 1976, ड्रीम गर्ल किनारा 1977, त्रिशूल 1978, मीरा 1979, कुदरत नसीब क्रांति 1980, अंधा कानून रजिया सुल्तान 1983, रिहाई 1988, जमाई राजा 1990, बागबान 2003, वीर जारा 2004, आदि।

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