फोटो गैलरी

Hindi News थर्ड फ्रंट बड़ी चुनौती: कांग्रेस

थर्ड फ्रंट बड़ी चुनौती: कांग्रेस

लोकसभा चुनाव करीब आते जाने के साथ ही कांग्रेस को भाजपा और उसके नेतृत्व वाले राजग के मुकाबले वामदल और उनके इर्द गिर्द बुने जा रहे तीसर मोर्चे के ताने बाने का डर सताने लगा है। हालांकि जाहिरातौर पर...

 थर्ड फ्रंट बड़ी चुनौती: कांग्रेस
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

लोकसभा चुनाव करीब आते जाने के साथ ही कांग्रेस को भाजपा और उसके नेतृत्व वाले राजग के मुकाबले वामदल और उनके इर्द गिर्द बुने जा रहे तीसर मोर्चे के ताने बाने का डर सताने लगा है। हालांकि जाहिरातौर पर कांग्रेस तीसर मोर्चे को ‘अस्तित्वहीन’ और ‘अजन्मा शिशु’ करार देकर इसकी खिल्ली भी उड़ा रही है।ड्ढr ड्ढr कर्नाटक के तुमकुर में और फिर नई दिल्ली में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के डिनर पर गैर भाजपा एवं गैर कांग्रसी दलों के नेताओं के जमावड़े के बाद उनके निशाने पर भाजपा और राजग के बजाए वाम दल और तीसर मोर्चे के लोग आ गए लगते हैं। इस मोर्चे पर राजनीतिक प्रहार के लिए कांग्रेस को अपने वरिष्ठतम नेताओं में एक प्रणव मुखर्जी को भी मैदान में उतारना पड़ गया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद 22 मार्च को तीसर मोर्चे के मजबूत गढ़ों में से एक कर्नाटक के दावणगेर में कांग्रेस के चुनाव अभियान का शंखनाद करने वाली हैं। इसके एक दिन पहले वह यहां कांग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र भी जारी करंगी। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और नवीन पटनायक के बीजू जनता दल के भी राजग को बाय-बाय कर देने के बावजूद कांग्रेस का अंदरूनी भय कम नहीं हुआ है कि राजग के मुकाबले इसके लिए तीसरा मोर्चा बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। एक तो चुनाव में दोनों का जनाधार तकरीबन एक समान है, दूसर चुनाव बाद के परिदृश्य में नतीजे कांग्रेस के पक्ष में ज्यादा अनुकूल नहीं रहे तो यूपीए के कुछ महत्वाकांक्षी घटक भी तीसर मोर्चे की तरफ रुख कर सकते हैं। वाम दलों और तीसर मोर्चे के खिलाफ कांग्रेस के कुछ ज्यादा ही हमलावर होने का एक कारण यह भी है कि इसके बहाने वह यह बताना चाहती है कि स्थिर सरकार सिर्फ वही दे सकती है।ड्ढr ड्ढr सोमवार को कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने वामदलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे सत्ता के अधिकार और सुख तो भोगना चाहते हैं लेकिन जवाबदेही लेना नहीं चाहते। वामदल चार वर्ष तक यूपीए सरकार का समर्थन करते रहे लेकिन अब अपने घोषणा पत्र, प्रस्तावों और वक्तव्यों में उसकी नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। मायावती उत्तर प्रदेश में भाजपा के समर्थन से सरकार चलाने के साथ ही गुजरात में नरेंद्र मोदी तक का चुनाव प्रचार कर चुकी हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें