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बोफोर्स सौदे में एजेंटों पर पाबंदी नहीं थी: सीबीआई

सीबीआई ने बोफोर्स तोप सौदे में इटली के व्यवसायी ओतावियो क्वात्रोच्चि द्वारा दलाली लिए जाने संबंधी मामला बंद करने के बारे में दिए अपने आवेदन को यह कहकर न्यायोचित ठहराया कि सरकार ने 1986 में जब स्वीडन...

बोफोर्स सौदे में एजेंटों पर पाबंदी नहीं थी: सीबीआई
एजेंसीSat, 03 Oct 2009 05:50 PM
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सीबीआई ने बोफोर्स तोप सौदे में इटली के व्यवसायी ओतावियो क्वात्रोच्चि द्वारा दलाली लिए जाने संबंधी मामला बंद करने के बारे में दिए अपने आवेदन को यह कहकर न्यायोचित ठहराया कि सरकार ने 1986 में जब स्वीडन सरकार के साथ इस सौदे पर दस्तख्त किए थे तब एजेंटों की सेवाएं लेने पर रोक नहीं थी।

नई दिल्ली की एक स्थानीय कोर्ट में दाखिल आवेदन में सीबीआई ने क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला वापस लेने के जो पांच कारण गिनाए हैं, उनमें एक यह भी है कि अनुबंध में एजेंटों की सेवाएं लेने पर कोई रोक नहीं थी।

अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पीपी मलहोत्रा ने आवेदन में कहा कि हालांकि मैसर्स एबी बोफोर्स ने भारत सरकार के साथ अनुबंध करने से पहले यह हलफनामा दिया था कि उनका कोई प्रतिनिधि या एजेंट विशेष रूप से भारत के लिए अनुबंधित नहीं है। मैंने देखा है कि कंपनी और सरकार के बीच जो मूल अनुबंध हुआ था उसमें भारतीय अथवा विदेशी एजेंटों की सेवाएं लेने अथवा न लेने पर कोई रोक नहीं थी।

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पांच वर्ष पहले इस मामले के अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आरोप निरस्त कर दिए जाने के बाद 69 वर्षीय व्यवसायी क्वात्रोच्ची मामले के अकेले जीवित आरोपी हैं।

क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला वापस लेने की अपील करते हुए जांच एजेंसी ने कहा कि कथित अपराध को गुजरे 23 साल हो चुके हैं और अन्य सभी सह आरोपी या तो मर चुके हैं या उनके खिलाफ अदालती कार्यवाही निरस्त की जा चुकी है।

अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पीपी मलहोत्रा ने अदालत के समक्ष कहा कि अन्य सभी सह आरोपियों की या तो मौत हो चुकी है या दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के जरिए उनके खिलाफ तमाम अदालती कार्यवाही निरस्त की जा चुकी है। इनमें कंपनी और अनुबंध के तमाम लाभार्थी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के शीर्ष विधि अधिकारियों के साथ परामर्श के बाद सीबीआई को मामला बंद करने की इजाजत दे दी है।

अपने नौ पृष्ठ के आवेदन में सीबीआई ने कहा कि पूर्व अटार्नी जनरल, पूर्व कानून मंत्री, मौजूदा अटार्नी जनरल, मौजूदा सालिसिटर जनरल के साथ साथ सरकार ने भी इस मामले का निरीक्षण किया और सबका यही ख्याल था कि इस मुकदमे को वापस ले लिया जाए। सरकार ने 24 मार्च 1986 को 1437 करोड़ रुपए की कुल लागत से 155 मिलीमीटर की 410 तोपों और उसकी प्रणालियों की आपूर्ति के लिए सौदा किया था।

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