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अनेक ऐतिहासिक किस्सों का गढ़ कालकाजी मंदिर

नेहरू प्लेस मार्केट से कुछ दूर स्थित है कालका जी मंदिर। ओखला के रास्ते में छोटी-सी पहाड़ी पर स्थित कालकाजी मंदिर पुरानी दिल्ली से 14 किलोमीटर दूर है। कालकाजी मंदिर साधारण ¨हिंदू मंदिर की तरह...

अनेक ऐतिहासिक किस्सों का गढ़ कालकाजी मंदिर
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 24 Sep 2009 12:36 PM
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नेहरू प्लेस मार्केट से कुछ दूर स्थित है कालका जी मंदिर। ओखला के रास्ते में छोटी-सी पहाड़ी पर स्थित कालकाजी मंदिर पुरानी दिल्ली से 14 किलोमीटर दूर है। कालकाजी मंदिर साधारण ¨हिंदू मंदिर की तरह दिखता है, लेकिन यह एक पुरातन मंदिर है।  इसका इतिहास 3000 वर्ष पुराना बताया जाता है। मान्यता है कि इसको पांडवों ने काली मां की पूजा-अर्चना के लिए बनाया था।

इस मंदिर से अनेक ऐतिहासिक प्रसंग भी जुड़े हैं। 1737 में तत्कालीन मुगल बादशाह मोहम्मद शाह के शासन में इस मंदिर को मराठा पेशवा बाजीराव (प्रथम) ने कुछ देर के लिए अपने कब्जे में ले लिया था। 1737 में पेशवा ने जब दिल्ली को हथियाने के लिए जोरदार धावा बोला, शाह ने उसे रोकने के लिए तुरंत दो फौजी टुकड़ियां, क्रमश: सादत खां व मीर बख्शी के नेतृत्व में भेजीं।

योजना थी कि टुकड़ियां पेशवा के जत्थे को मथुरा-वृंदावन के बीच घेर लेंगी, परंतु पेशवा की फौज उनके वहां पहुंचने से पहले ही कूच कर गई। तेजी से पेशवा ने दिल्ली के बाहर बने कालकाजी मंदिर पर कब्जा कर अपना डेरा डाल दिया। शाह की भेजी टुकड़ियां पीछा करती कालकाजी मंदिर के पास जा पहुंचीं। पेशवा अपनी फौज के साथ तालकटोरा (गार्डन) के जंगल की ओर खिसक गया। बाजीराव का दिल्ली हथियाने का सपना तो पूरा नहीं हुआ। हां, उसने 700 मुगल सैनिकों व इंफेंटरी का खास नुकसान किया। इसी प्रकार 1805 में जसवंत राव होल्कर ने भी दिल्ली पर धावा बोलते हुए कालकाजी मंदिर के प्रांगण में अपना डेरा डाला था। 1857 के गदर व 1947 के भारत-पाक बंटवारे के समय में भी यह मंदिर ¨हिदुओं की गतिविधियों का सक्रिय केंद्र था।   

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