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संरक्षणवाद के खिलाफ जी-20 दे कड़ा संदेशः मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन से व्यापार, सेवाओं, निवेश और वित्तीय प्रवाह के संरक्षण के विरोध में कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए। अमेरिका के पेनसिलवेनिया...

संरक्षणवाद के खिलाफ जी-20  दे कड़ा संदेशः मनमोहन
एजेंसीWed, 23 Sep 2009 03:29 PM
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन से व्यापार, सेवाओं, निवेश और वित्तीय प्रवाह के संरक्षण के विरोध में कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए।

अमेरिका के पेनसिलवेनिया प्रांत के पिट्सबर्ग में 24 और 25 सितंबर को होने वाले जी-20 देशों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना होते हुए उन्होंने एक बयान जारी किया, जिसमें यह अनुरोध किया गया था।

उन्होंने कहा कि हम इस सम्मेलन में यह देखना चाहेगे कि किसी भी तरह के संरक्षण चाहे वह वस्तुओं का व्यापार हो या फिर सेवाओं, निवेश अथवा वित्तीय प्रवाह हो उसके विरुद्ध कड़ा संदेश जाए।

डॉ. सिंह ने कहा कि पिछले जी-20 देशों के सम्मेलन से वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों में सुधार दिखाई दिया है, लेकिन विश्व अर्थव्यवस्था अभी भी संकट से नहीं उबरी है। उन्होंने कहा कि भारत में पूंजी प्रवाह बढ़ने लगा है तथा यह निवेशकर्ताओं के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है।

प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की विकास दर घरेलू मांग द्वारा मुख्य रूप से संचालित होती है तथा इसकी बचत दर संतुलित है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008-09 में अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई है फिर भी भारत जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में पूरे विश्वास के साथ जा रहा है।

बृजसिंह ने कहा कि पूंजी प्रवाह बढ़ना शुरू हो गया है और भारत निवेश के लिए आकर्षक स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में शामिल रहना जरूरी है, क्योंकि इसकी बहुत बड़ी हिस्सेदारी है और उसे काफी योगदान भी करना है।

उन्होंने उम्मीद जताई की इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में मध्यम और दीर्धावधि वाले मामलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सतत और संतुलित विकास का ढांचा तैयार करने, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय नियामक व्यवस्था को मजबूत करने, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक के दृष्टिपत्र की पुनः पुष्टि करने, सबसे कमजोर को मजबूत सहारा देने, एक खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सम्मेलन द्वारा मुख्य रूप से विचार किए जाने की संभावना है।


भारत वैश्विक मंदी से उत्पन्न समस्याओं, संरक्षणवाद और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की पुनर्संरचना संबंधी अपनी मांगों को दो दिवसीय बैठक के दौरान उठाएगा। प्रधानमंत्री के साथ एक उच्च सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी गया है, जिसमें योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन सहित अन्य उच्च अधिकारी शामिल हैं। प्रधानमंत्री जी-20 सम्मेलन में भाग लेने के साथ ही विश्व के अन्य देशों के कुछ शीर्ष नेताओं से भी अलग से मिलेंगे।

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