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बलूचिस्तान पर नहीं दिया कोई दस्तावेजः पाक

पाकिस्तान ने मिस्र में पिछली जुलाई में हुई प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पाकिस्तानी समकक्ष यूसुफ रजा गिलानी की बैठक के बाद पहली बार यह कहा है कि उसने सिंह को बलूचिस्तान पर कोई दस्तावेज नहीं...

बलूचिस्तान पर नहीं दिया कोई दस्तावेजः पाक
एजेंसीFri, 11 Sep 2009 06:58 PM
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पाकिस्तान ने मिस्र में पिछली जुलाई में हुई प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पाकिस्तानी समकक्ष यूसुफ रजा गिलानी की बैठक के बाद पहली बार यह कहा है कि उसने सिंह को बलूचिस्तान पर कोई दस्तावेज नहीं दिया।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि नहीं। हमने नहीं दिया। असल में, हमने बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया था। हमने सकारात्मक नजरिया चाहा था और बलूचिस्तान के अंदर दखलंदाजी नहीं करने को कहा था। कुरैशी से पाकिस्तानी मीडिया में जताए गए इन दावों के बारे में पूछा गया था कि शर्म अल शेख में गुट निरपेक्ष आंदोलन के सम्मेलन के इतर हुई सिंह-गिलानी की बैठक में इस तरह का कोई दस्तावेज सौंपा गया था।

बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में बलूचिस्तान का जिक्र होने से भारत में इसकी तीखी प्रतिक्रियाएं हुईं। पाकिस्तान भारत पर बलूचिस्तान में अशांति भड़काने के आरोप लगाता रहा है। इन आरोपों का भारत खंडन करता है। भाजपा और कई अन्य राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लिया था क्योंकि वह संयुक्त वक्तव्य में बलूचिस्तान के जिक्र पर सहमत हुए थे। राजनीतिक दलों का कहना है कि सरकार ने नतीजों के बारे में सोचे बगैर पाकिस्तान के समक्ष समर्पण कर दिया।

सिंह ने बाद में स्पष्टीकरण दिया था कि भारत के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और भारत उस संयुक्त वक्तव्य के संदर्भ में कुछ भी गलत नहीं देखता जिसमें इस बात का जिक्र है कि पाकिस्तान ने वार्ता के दौरान बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया था।

कुरैशी ने केंद्रीय गृह मंत्री पी़ चिदंबरम की अमेरिका यात्रा पर भी सवाल उठाए जिसे पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और मुंबई हमलों के मुख्य षड्यंत्रकारी हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उस पर दबाव डालने की एक कोशिश के तौर पर देखा गया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को हमेशा से तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को लेकर परेशानी रही है। भारत के गृह मंत्री जो आज कह रहे हैं, वह पूर्व की भारत की नीतियों से परस्पर विरोधी है।

कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान को इस तरह के हस्तक्षेप को स्वीकारने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वे (भारत) अमेरिका को शामिल करना चाहें तो हमें काफी खुशी होगी। मैं दोहराता हूं, पाकिस्तान को तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से कोई समस्या नहीं है जिसमें दोनों देशों के बीच के अन्य विवादास्पद मुद्दे भी उठ सकें।

कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने विदेश सचिव निरूपमा राव को पत्र लिखकर उन्हें एक बैठक के लिए इस्लामाबाद आने का न्योता दिया है जो दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच इस महीने के अंत में न्यूयॉर्क में होने वाली मुलाकात से पहले होगी लेकिन भारत की ओर से इसका कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर वे नहीं मिलेंगे, विदेश मंत्रियों के लिए रिपोर्ट तैयार नहीं करेंगे, जैसी कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने सहमति जतायी थी तो फिर हम यहां से कहां जाएंगे।

दोनों विदेश सचिवों के बीच न्यूयॉर्क में विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात से पहले एक बैठक होनी है जिसमें मुंबई हमलों पर जांच की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। कुरैशी ने कहा कि समग्र वार्ता को लगातार रोके जाने से भारत को पाकिस्तान से ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने इसका खंडन किया कि भारत ने मुंबई हमलों में हाफिज सईद और अन्य आरोपियों की संलिप्तता के बारे में कोई दस्तावेज मुहैया कराया है।

कुरैशी ने कहा कि हमारे कानूनी दल ने भारत के भेजे गए सबूत का बारिकी से अध्ययन किया है। मुझ पर यकीन कीजिए, ये कानून की अदालत में नहीं टिकेंगे। जसवंत सिंह की जिन्ना पर केंद्रित पुस्तक को लेकर उत्पन्न विवाद के बारे में उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतिक्रिया स्तब्ध कर देने वाली है।

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