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लव खिचड़ी

सितारे : रणदीप हुड्डा, रिया सेन, रितुपर्णा सेनगुप्ता, दिव्या दत्ता, सोनाली कुलकर्णी, कल्पना पंडित, जेसी रंधावा, सदा, सौरभ शुक्ला, संजय मिश्रा। निर्माता - बैनर : कृष्ण कुमार पिट्टी और विक्टोरिया...

लव खिचड़ी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 29 Aug 2009 03:49 PM
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सितारे : रणदीप हुड्डा, रिया सेन, रितुपर्णा सेनगुप्ता, दिव्या दत्ता, सोनाली कुलकर्णी, कल्पना पंडित, जेसी रंधावा, सदा, सौरभ शुक्ला, संजय मिश्रा।
निर्माता - बैनर : कृष्ण कुमार पिट्टी और विक्टोरिया एंटरटेनमेंट प्रा. लि. पिट्टी ग्रुप
निर्देशक : श्रीनिवास भाश्याम
कथा-पटकथा : श्रीनिवास भाश्याम, मनु जोशफ
संवाद : पंकज कपूर, संदीप श्रीवास्तव
गीत : अमिताभ वर्मा, शालीन शर्मा
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती

कहानी : चंडीगढ़ से आया हैंडसम वीर प्रताप सिंह (रणदीप हुड्डा) मुंबई में एक पांच सितारा होटल में शेफ है। उसका रेस्टोरेंट खोलने का सपना है। वीर का एक ही फलसफा है, सिंगल एंड रेडी टू मिंगल। वह नौकरानी शांता बाई (सोनाली कुलकर्णी) से लेकर अक्लमंद शर्मिष्ठा बसु तक से फ्लर्ट करता है। वीर मकान मालकिन परमिंदर (दिव्या दत्ता) को खाने की रेसिपी बताकर अपने जाल में फंसाना चाहता है, लेकिन परमिंदर उसकी दाल नहीं गलने देती है। संध्या (सदा) वीर के होटल में ही काम करती है और वीर को दिल ही दिल में प्यार करती है, लेकिन कहती नहीं है। वीर बिजनेस वुमैन सीजलर (कल्पना पंडित) पर डोरे डालता है, लेकिन सीजलर उसका इस्तेमाल करती है। वीर के पड़ोस में रहने वाली स्कूल गर्ल दीप्ति (रिया सेन) उससे प्यार करती है, लेकिन वीर वहां से निकाले जाने के डर से उससे दूर ही रहता है। होटल में ही बुक शॉप चलाने वाली शर्मिष्ठा (रितुपर्णा सेनगुप्ता) सुंदर होने के साथ ही बुद्धिमान भी है। वीर उससे भी फ्लर्ट की कोशिश करता है और अंत में सफल भी हो जाता है। उसे लगता है कि शर्मिष्ठा ही उसकी टाइप की लड़की है, लेकिन शर्मिष्ठा उसे ठुकराकर अपने पति के साथ रहने लगती है। इससे उसका दिल टूट जाता है। ऐसे में उसे संध्या सहारा देती है और उसके जन्मदिन पर उससे शादी करने का प्रस्ताव रखती है, जिसे वीर ठुकरा देता है। इससे दुखी होकर संध्या अपने ही एक अन्य सहकर्मी से शादी को राजी हो जाती है। संध्या की शादी की बात से वीर को उसके प्रति अपने प्यार का अहसास होता है और वह संध्या से शादी करना चाहता है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। ऐसे में उसकी मदद उसके साथ काम कर रहे गुरुजी (सौरभ शुक्ला) करते हैं। अंत में संध्या और वीर की शादी हो जाती है।

निर्देशन : श्रीनिवास भाश्याम ने एक दिलचस्प आइडिया पर फिल्म बनाई है। पुराने फॉमरूला को नए ढंग से ट्रीटमेंट देने की कोशिश की है। लेकिन फिल्म में वह सेक्स का जोर का तड़का लगाने की कोशिश में प्यार के छींटे भी नहीं लगा पाए हैं।

अभिनय : अभिनय के मामले में रणदीप ठीक रहे, लेकिन क्लाइमेक्स में कमजोर पड़ गए। सदा और सोनाली कुलकर्णी अपने रोल में जमी हैं। सौरभ भी ठीक रहे। जेसी, रिया और दिव्या के लिए फिल्म में करने के लिए कुछ भी नहीं था।

गीत-संगीत : फिल्म में प्रीतम का संगीत निराश करने वाला है। एक भी गाना ऐसा नहीं है, जो दर्शक थिएटर से बाहर आने के बाद याद तक रख सकें।

क्या है खास : लड़कियों से फ्लर्ट करने का एक नया अंदाज।


क्या है बकवास : द्विअर्थी संवाद, सनसाइन का चक्कर और हर रिश्ते का नाटकीय अंत।

पंचलाइन : जिनकी लव की गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही हो, वे अपनी खिचड़ी पकाने के लिए फिल्म देखने जा सकते हैं।

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