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आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के अपने-अपने राग

राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री की सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ आंतरिक सुरक्षा बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सुरक्षा के नाम पर हमें मानवाधिकारों और...

आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के अपने-अपने राग
एजेंसीMon, 17 Aug 2009 10:48 PM
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राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री की सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ आंतरिक सुरक्षा बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सुरक्षा के नाम पर हमें मानवाधिकारों और नागरिक अधिकारों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। सम्मेलन का उद्घाटन प्रघानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने किया।

नीतीश ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा को खतरा केवल आतंकवाद से नहीं बल्कि उग्रवाद से भी है। इन दोनों पर एक साथ बात होनी चाहिए और केन्द्र को चाहिए कि वह राज्यों के पुलिस बल के आधुनिकीकरण में मदद करे और इसके लिए पर्याप्त प्रशिक्षण दे तथा खुफिया तंत्र को तकनीकी रूप से मजबूत करे। इसके अलावा राज्यों के साथ खुफिया जानकारी का भी आदान प्रदान करें।

नीतीश ने यह भी कहा कि हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं और राज्यों की जिम्मेदारी बनती है कि वह देश की एकता तथा अखंडता की रक्षा करे। हमें सुरक्षा के नाम पर मानवाधिकारों तथा नागरिक अधिकारों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

उन्होंने लोगों से आपस में विश्वास करने की अपील करते हुए कहा कि जो लोग समुदायों, धर्मो को और राष्ट्र को बांटने की कोशिश करते हैं, उनके खिलाफ हमें कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

आंतरिक सुरक्षा के मसले पर सम्मेलन में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र सरकार से दोबारा अनुरोध किया है कि वह अपने राजनीतिक विचारों और मतभेदों को दूर रखते हुए गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण कानून (गुजकोका) को जल्दी से अपनी स्वीकृति प्रदान करें।

मोदी सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आंतरिक सुरक्षा के मसले पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के निपटने में दुनिया में कई देशों ने बड़े सख्त कानून बनाए है और इतना ही नहीं तथाकथित आजादी और मानव अधिकारों के पैरोकार अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रिया आदि जैसे राष्ट्रों ने भी गुजकोका से कहीं ज्यादा सख्त कानून बनाए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गैरकानूनी गतिविधि निवारक कानून एकदम निष्प्रभावी है और ऐसी स्थिति में आतंकवाद और उससे जुड़ी गतिविधियों से निपटने के लिए गुजकोका को जल्दी से स्वीकृति दी जाए।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई है और इसे देखते हुए एक व्यापक आंतरिक सुरक्षा नीति बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि साथ ही पुलिस बल को आधुनिक हथियारों से सुसज्जित बनाकर अधिक सशक्त बनाए के उद्देश्य से कुछ प्रभावी और कारगर नीतिगत निर्णय करने की आवश्यकता है।

मोदी ने कहा कि देश की समुद्री सीमा क्षेत्र से मिल रहे आतंकी हमलों के खतरों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार को तटवर्ती सुरक्षा प्राधिकरण गठित करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। इस संबंध में उन्होंने गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में लंबित बाड लगाने के काम को शीघ्रता से पूरा करने की मांग की।

उधर, पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए उच्च प्रौद्योगिकी से लैस होकर पूरी मुस्तैदी बरते जाने और सबंधित पक्षों द्वारा समग्र रवैया अपनाने की जरूरत है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए बादल ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा को खतरा बहुआयामी है। सिर्फ एक समग्र प्रतिक्रिया ही इससे निपटने का कारगर उपाय है जिसमें इस चुनौती से निपटने के दूरगामी परिणाम वाले ठोस प्रशासनिक, आर्थिक और राजनीतिक कदम समाहित किए जाने चाहिए।

उन्होंने जोर देकर कहा कि चाहे आंतरिक सुरक्षा हो या बाहरी सुरक्षा यह देश के एजेंडा का पहला सबसे महत्वपूर्ण विषय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार अपने नागरिकों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पाती तो विकास, समृद्धि और वृद्धि दर का कोई मतलब नहीं रह जाता।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से आतंकवाद की चुनौतियों का सामना करने के लिए सीमावर्ती राज्य होने के नाते राजस्थान को ए श्रेणी के राज्यों की सूची में शामिल कर पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए शत प्रतिशत सहायता देने की मांग की है।

गहलोत ने आंतरिक सुरक्षा पर सोमवार को आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में यह मांग करते हुए कहा कि वर्तमान में राजस्थान बी श्रेणी के राज्य में आता है। सीमावर्ती राज्य और उसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए उसे ए श्रेणी के राज्य रखा जाना चाहिए और पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए शत प्रतिशत सहायता दी जानी चाहिए।

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