फोटो गैलरी

Hindi Newsआपके बेटे-बेटी की लव लाइफ

आपके बेटे-बेटी की लव लाइफ

कॉलेज खुल गए हैं, नौजवान जिंदगी की नई दहलीज पर हैं। खुलापन और डेटिंग का दौर जवान है। बीस साल पहले और आज के खुलेपन के नजरिए में जमीन-आसमान का फर्क आया है। आज डेटिंग की खासी अहमियत है और बेशुमार फायदे...

आपके बेटे-बेटी की लव लाइफ
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Jul 2009 12:56 PM
ऐप पर पढ़ें

कॉलेज खुल गए हैं, नौजवान जिंदगी की नई दहलीज पर हैं। खुलापन और डेटिंग का दौर जवान है। बीस साल पहले और आज के खुलेपन के नजरिए में जमीन-आसमान का फर्क आया है। आज डेटिंग की खासी अहमियत है और बेशुमार फायदे भी। आज के अभिभावक गश खाने लगते हैं, जब उन्हें अहसास होता है कि उनके किशोर-युवा बेटा या बेटी की कोई गर्लफ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड नहीं है। अपने बच्चों की सेक्सुएल रुझान को लेकर तमाम ख्याल उभरने लगते हैं। खासतौर से ऐसे समय पर जब समलैंगिकता की जय हो रही है।

अभिभावक और किशोरों के खुलेपन के चलते यंग जेनरेशन की लव लाइफ ने पीढि़योंके फासले को घटाया है। अनुपमा गुप्ता का मानना है कि आज का माहौल कहीं बेहतर है। वे खुश हैं कि उसका 24 साल का बेटा मधुर अपनी गर्लफ्रेंड और रिश्ते के बारे में उनसे बातें करता है। अपने जमाने को याद करती हैं कि जब मैं जवान थी, सहमी रहती थी कि मेरे पुरुष दोस्तों के बारे में मम्मी-पापा को पता चलेगा, तो क्या होगा? मैंने जो कुछ किया विरोध में और लुक-छिप कर। अब मेरा बेटा अपनी लव लाइफ बेझिझक बयान करता है। इधर-उधर से सलाह लेने की बजाए सीधा मेरा रुख करता है। को-एड स्कूल की टीचर और दो बेटे-एक बेटी की मां निर्मला मखीजा कहती हैं-मेरा अंदाजा है कि आज हमारे देखने के नजरिए में व्यापक बदलाव  आया है। वजह है कि हम बच्चों की गतिविधियों की बारीकियों से परिचित रहते हैं। इसलिए अपने बच्चों के साथ खुले हैं। क्या ऐसा बदलाव खुद-ब-खुद उभरा है या अभिभावकों की खासी दिलचस्पी का नतीजा है? मिलाजुला असर ही है। आज के अभिभावक अपनी जवानी के दिनों को पीछे मुडम् कर देखते हैं, तो महसूस करते हैं लव लाइफ की लुका-छिपी के तनाव को। इसलिए चाहते हैं कि उनके बच्चे वह सब करें, जो वह चाह कर भी नहीं कर पाए। पुराने दिनों में दुनियादारी की अहम् भूमिका रही। नाना-नानी, चाचा-चाची, मामा-मामी वगैरह अभिभावकों पर बच्चों पर नजर रखने के लिए जबरदस्ती करते थे। बच्चों की आजादी पर अभिभावकों को बाहरी टोका-टोकी का भी सामना करना पडम्ता था। बच्चों को माता-पिता और मां-पिता को किसी और को जबावदेही होती थी। अब माहौल बदला-बदला है। एकल परिवारों के अभिभावक अपने आजाद ख्यालात को बच्चों तक बखूब और बेझिझक पहुंचा रहे हैं।
बीते बीस सालों के दौरान, तेज बदलाव आए हैं। भावना और सचिन में गहरी दोस्ती है। दोनों बाइक पर साथ-साथ बेरोकटोक घूमते-फिरते हैं। भावना की मां सचिन को अपने घर बुलाती है। भावना बताती है-मेरे मम्मी-पापा मुङो मना नहीं करते। उन्हें तर्कपूर्ण समझा दूं, तो कोई रोक-टोक नहीं। लेकिन तय समय के मुताबिक घर नहीं लौटूं, तो मोबाइल बज उठता है। भावना की मां सुजाता कहती हैं-अगर आपका बेटा या बेटी अपनी सहेली या दोस्त को घर लाकर मिलाएं तो आप उसे मिलने से क्यों और कैसे मना कर सकते हैं? आज की पीढम्ी के बच्चों को मना करेंगे तो वे पीठ-पीछे करेंगे। सो, उन्हें आंखों के सामने मनमर्जी करने दीजिए।

लेकिन दुनियादारी की सीमाएं हैं। कोई अभिभावक नहीं चाहेगा कि उसकी किशोर बेटा या बेटी अपने ब्वॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड के संग हाथ में हाथ डाले उनके सामने आ खड़ी हो। हालांकि 21वीं सदी की पीढ़ी होने के बावजूद समाज में ऐसी तेजी फिलहाल नहीं आई है। सत्तर के दशक में खुद लव मैरिज करने वाली मां रितु अग्रवाल का एक बेटा और एक बेटी है। कहती हैं-हमने दुनिया देखी है, खूब मौज की हैं। और अपनी गलतियों से सीखा भी है। बच्चों को बडम होना है। उन्हें आजाद छोडम् दीजिए। मैं खुले दिल की मां हूं क्योंकि मैं भी उसी दौर से गुजर चुकी हूं। आज भी कुछ अभिभावकों का ख्याल है कि लव-वव तो सही है, लेकिन अपने बच्चों की शादी तो अरेंज ही करेंगे। खानदानी कारोबार में उतरने के लिए बेटे को खासतौर से पिता की माननी पड़ती है। हिंदू कालेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी का छात्र श्रवण साहनी लव लाइफ के चक्कर से झिझकता है। वजह है कि उसके पिता उसकी शादी किसी रईस कारोबारी परिवार की बेटी से करने के इच्छुक हैं। बकौल हीरो-मॉडल अस्मित पटेल- मुङो अपने पेरेंट्स की पसंद की लडम्की से शादी करने में कोई एतराज नहीं है। मैं अपने मैच से शादी करना चाहता हूं, लेकिन चाहता हूं कि अपने परिवार की महत्वाकांक्षाओं पर भी खरा उतरूं। पेरेंट्स हमेशा हमें ज्यादा बेहतर जानते हैं। आज के किशोर-युवा कहां खड़े हैं? कुछ 21वीं सदी में हैं तो कुछ अभी समय से पीछे चल रहे हैं। अगर 16 से 22 तक भी किशोर-युवा दूसरे सेक्स से आकर्षित होकर सहेलियां-दोस्त नहीं बनाएंगे, तो कब बनाएंगे? हर इंसान गलतियों से सीखता है। इसलिए उन्हें छुटपुट गलतियां करने दीजिए। उन्हें जताना अभिभावकों का फर्ज जरूर है कि हम तुम्हारे साथ हैं।

लड़कियां लड़कों-सी कहां?
बराबरी की तरफदारी करती मॉर्डन सोसायटी में भी लव लाइफ के मामले पर लड़कियां लड़कों-सी नहीं हैं। कोई शक नहीं कि अभिभावक लव लाइफ की छूट को लेकर बेटी या बेटे में खासा फर्क करते हैं। तय है कि इस मोर्चे पर लडम्कों को कहीं ज्यादा छूट दी जाती है।ऐसा क्यों है? दो बेटियों की मां संगीता अहूजा कहती हैं-क्योंकि लड़कियों को शारीरिक और मानसिक दोनों किस्म के नुकसान की ज्यादा गुंजाइश है। सुनने-पढ़ने में बेशक अच्छा लगता है कि बेटे-बेटियों को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। 18 से 21 साल की उम्र के बेटे और बेटी की मां सुधा जोशी बताती हैं-मैं बेटी के आने-जाने मिलने-जुलने पर ज्यादा तवज्जो देती हूं। मिसाल के तौर पर जब मेरा बेटा गर्लफ्रेंड की बात करता है तो मैं उसकी सहेली से मिलने पर जोर नहीं देती। लेकिन जब मेरी बेटी अपने मित्र के बारे में कहे, तो मैंने दो टूक कह रखा है कि मुझे जरूर मिलाओ। और मैं उसे घर पर ही बुलाने को कहती हूं। बेटी जानती है हमारी पसंद-नापसंद को। इसलिए अगर उसे लगेगा कि ब्वॉयफ्रेंड हमारी चाह के मुताबिक नहीं है तो वह उससे दोस्ती ही नहीं बढ़ाएगी।

इसलिए ज्यादातर अभिभावक जानना चहते हैं कि उनकी बेटी किससे मिल रही है? उसका ब्वॉयफ्रेंड कैसा है? जबकि बेटे की गर्लफ्रेंड के बारे में जानकारी उतनी जरूरी नहीं होती। शायद यही कारण है कि माता-पिता अपनी बेटी की शादी जल्दी करना चाहते हैं। बेटे को बेशक देर-सवेर हो जाए, तो फिक्र नहीं।

साइकोलॉजिकल सलाहः बड़े धोखे हैं इस राह में
नई दिल्ली के मनोअस्पताल विहमेंस के साइकोलोजिस्ट डॉ. विशाल ने एक रेडियो टॉक शो में राय दी कि खासतौर से लड़कियां लव-लाइफ में जरा संभल कर उतरें। विशाल लड़कियों को हिदायत देते हैं-अगर अपने यार-दोस्तों के संग डे-क्लब, डिस्को या कहीं आउटिंग पर भी जा रही हैं तो गौर कीजिए कि कोल्ड ड्रिंक की बोतल या केन तुम्हारी नजर के सामने ही खोला जाए। आपकी नजर चूकी नहीं कि उसमें कुछ नशीला पदार्थ मिलाया जा सकता है। फिर, बेहोशी की हालत में आपसे कुछ भी नाजायज करवा सकते हैं। इसलिए अगर एक-दो घूंट पीने के बाद स्वाद अटपटा महसूस हो या चक्कर आने लगे तो सचेत हो जाइए। ड्रिंक को और मत पीजिए। डॉ. विशाल

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें