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पर्चा हाथ में, जमीन का पता नहीं

ााते में पैसा है और हाथों में पर्चा, फिर भी बसने के लिए जमीन नहीं और आवास बना नहीं। जिले के महादलितों की कराह चुनावी शोर में दब गई है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री की विकास यात्रा के दौरान आनन-फानन में...

 पर्चा हाथ में, जमीन का पता नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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ााते में पैसा है और हाथों में पर्चा, फिर भी बसने के लिए जमीन नहीं और आवास बना नहीं। जिले के महादलितों की कराह चुनावी शोर में दब गई है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री की विकास यात्रा के दौरान आनन-फानन में विद्यापतिनगर प्रखंड में सिमरी गांव के 36 महादलितों को गृहस्थल के लिए एक एकड़ 31 डिसमिल सरकारी भूमि बंदोबस्त हुई।ड्ढr ड्ढr सबको 4-4 डीसमिल भूमि की जमाबंदी भी कायम कर दी गई, लेकिन मिली जमीन पर लाभार्थियों को कब्जा नहीं मिला। अंचलाधिकारी अनिल कुमार आर्य ने बताया कि 17 मुसहर परिवारों को सामान्य इंदिरा आवास की स्वीकृति देकर सबके खाते में 24-24 हाार डाल दिए गए हैं। फिर भी आवास का निर्माण शुरू नहीं हुआ। लाभार्थी कहते हैं जमीन का पता चले तो आवास निर्माण शुरू हो। दलसिंहसराय नगर पंचायत क्षेत्र की भीखन देवी, पदु सदा, तीरो सदा, मुनेश्वर सदा, अशर्फी सदा, उमन सदा, बनारसी सदा तथा बुद्धु सदा को तो पर्चा भी नहीं मिला। बीडीओ राहुल वर्मन ने बताया कि शीघ्र ही दे दिया जाएगा। महनैया गांव के 25 महादलितों को भी बासगीत पर्चा तो मिल गया लेकिन अधिकांश अभी बसने के लिए जमीन खोज ही रहे हैं। बहरहाल महादलितों के कल्याण की यह योजना फिलहाल कागज में ही दौड़ती दिखाई देती है और टोले के गरीब टूटी झोपड़ियों में रहने को विवश हैं।

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