चली चौथे मोर्चे की गाड़ी
यूपी और बिहार में मुस्लिमों, यादवों और दलितों के वोटों को बटोरने के लिए एक चौथा मोर्चा बनकर तैयार है। मुलायम, लालू और पासवान के नेतृत्व वाले इस मोर्चेकी आधिकारिक घोषणा 30 मार्च को होगी। मोर्चे का...
यूपी और बिहार में मुस्लिमों, यादवों और दलितों के वोटों को बटोरने के लिए एक चौथा मोर्चा बनकर तैयार है। मुलायम, लालू और पासवान के नेतृत्व वाले इस मोर्चेकी आधिकारिक घोषणा 30 मार्च को होगी। मोर्चे का मकसद है यूपी और बिहार की 120 में से अधिकतर सीटों पर काबिज होना। अभी सपा, राजद और लोजपा के पास अभी इन राज्यों में 58 सीटें हैं, लेकिन लक्ष्य ज्यादा सीटें लाकर बड़ी धर्मनिरपेक्ष ताकत बनना है।ड्ढr सपा महासचिव अमर सिंह के अनुसार मुलायम सिंह यादव की लालू और पासवान से बात पक्की हो चुकी है। सपा बिहार में तथा लालू-पासवान उप्र में प्रत्याशी खड़े नहीं करंगे। समझौते के तहत मुलायम, अमर प्रचार के लिए बिहार जायेंगे और लालू-पासवान यूपी में सपा का प्रचार करंगे। यह चौथा मोर्चा हालांकि यूपीए से अलग हटकर वोट मांगेगा, लेकिन अमर सिंह ने कहा कि चुनाव बाद धर्मनिरपक्ष सरकार गठन में यूपीए का साथ देने में कोई एतराज नहीं होगा। इस मोर्चे का नाम, नेता और असल काम क्या होगा? सिंह ने कहा कि यह धर्मनिरपेक्ष मोर्चा है। अभी कोई नाम नहीं है। काम है यूपी -बिहार में धर्मनिरपेक्ष वोटों को बिखरने से बचाना है। मोर्चे का विस्तार कुछ और राज्यों में भी हो सकता है। सिंह ने कहा, एनसीपी नेता शरद पवार दो दिन पूर्व उनके घर पर आये थे। वह चाहते हैं कि महाराष्ट्र में सपा से टकराव नहीं हो।ड्ढr उधर, पटना में राजद और लोजपा प्रमुखों ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि ‘अब हम एक और एक मिलकर ग्यारह हो गये हैं।’ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि हमारी लड़ाई कांग्रस से नहीं है। कांग्रस को अपना जनाधार बढ़ाना है, वह बढ़ाये। मुझे उस पर कुछ भी नहीं बोलना है। हमारा टारगेट एनडीए का सफाया करना है। दूसरी ओर लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा कि इस अब तक राजद और लोजपा की लड़ाई का दूसरों को फायदा हो जाता था। अब ऐसा नहीं होगा। कांग्रस ने निर्णय लेने में जल्दबाजी कर दी। अगर वह हमार साथ रहती, तो अच्छा होता। पासवान ने एक बार फिर दावा किया कि चुनाव के बाद यूपीए के सभी दल मिलकर केन्द्र में सरकार बनायेंगे।ड्ढr इस बीच, गुरुवार को जदयू के कांग्रेस के करीब आने की अटकलें चैनलों पर आ रही थीं, लेकिन दोपहर में खुद नीतीश ने इसका खंडन कर दिया। उन्होंेनेसाफ किया कि जदयू तो एनडीए का घटक है और रहेगा। पीएमके ने यूपीए से नाता तोड़ाचन्नई। तमिलनाडु मं पीएमके ने कांग्रस-द्रमुक का साथ छोड़ यूपीए स नाता तोड़ लिया। पीएमके अब अन्नाद्रमुक के साथ चुनावी गठबंधन करगी। पीएमक क इस फैसल पर कांग्रस का कहना है कि इसका यूपीए गठबंधन पर कुछ खास असर नहीं होगा। पीएमक नता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदास न बताया कि पार्टी की महापरिषद की बैठक मं मतदान क जरिए फैसला हुआ कि लोकसभा चुनाव राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की पार्टी क साथ मिलकर लड़ा जाये। एजेंसी2004 के चुनाव में वामपंथियों के अलावा कांग्रेस को 14 दलों का समर्थन था. 200में स्थिति बदली हुई है. द्रमुक, राकांपा और झामुमो को छोड़ यूपीए के सभी साथी अगल हो चुके हैं. हां, तृणमूल और नेशनल कांफ्रेंस जरूर उसके नए सहयोगी बन गए हैं.ड्ढr अलग राज्य की मांग पर टीआरएस ने छोड़ दिया यूपीए का साथ. 16 मार्च-2007 को एमडीएमके हुआ अलग. 8 जुलाई 2008 को अमेरिका से एटमी डील पर खफा वामदल हुआ जुदा. जम्मू-कश्मीर में नेकां से करार के बाद पीडीपी ने पकड़ी अलग राह. 22 मार्च को राजद-लोजपा ने छोडा़ साथ.द्रमुक से विवाद बढ़ने पर 26 मार्च को पीएमके हुआ