आईसीसी अक्तूबर में लागू करेगी रेफरल प्रणाली
पिछले कुछ महीनों में कई ट्रायल्स के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने आखिर में अंपायर रेफरल प्रणाली को अक्तूबर में टेस्ट मैचों में लागू करने का फैसला किया है। आईसीसी बोर्ड ने लाडर्स में पहले दिन की...
पिछले कुछ महीनों में कई ट्रायल्स के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने आखिर में अंपायर रेफरल प्रणाली को अक्तूबर में टेस्ट मैचों में लागू करने का फैसला किया है। आईसीसी बोर्ड ने लाडर्स में पहले दिन की बैठक में धीमी ओवर गति के लिये दोगुना जुर्माना लगाने का फैसला किया और इसके साथ ही दिन रात्रि टेस्ट क्रिकेट से जुड़े कई महत्वपूर्ण कारकों के समाधान के बाद इसके ट्रायल पर सहमति जतायी।
आईसीसी बोर्ड की बुधवार रात की बैठक के बाद जरी बयान में कहा गया है कि अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली अक्तूबर 2009 से टेस्ट क्रिकेट से लागू कर देनी चाहिए। आईसीसी अध्यक्ष डेविड मोर्गन ने कहा कि क्रिकेट समिति को 2012 के बाद का भविष्य का दौरा कार्यक्रम (एफटीपी) मिल गया जिसे आईसीसी और सदस्य देशों की मंजूरी मिलनी बाकी है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिये लंबी अवधि के ढांचा तैयार करने के लिये सदस्यों के कड़े और प्रभावी कार्य से मैं उत्साहित हूं। हमारे सदस्यों के साथ-साथ खिलाड़ियों, प्रसारकों और जनता के बीच निश्चितता पैदा करने के लिये यह खाका तैयार करना बहुत जरूरी था। वर्तमान एफटीपी मई 2012 में समाप्त होगा तथा बैठक से पहले सदस्यों के बीच द्विपक्षीय और बहु पक्षीय चर्चा के बाद नये कार्यक्रम का खाका पेश किया गया।
धीमी ओवर गति के बारे में आईसीसी ने कहा कि आचार संहिता के अंतर्गत जुर्माना दोगुना लगाया जएगा और यदि किसी कप्तान पर एक ही प्रारूप में 12 महीने के अंदर तीन बार धीमी ओवर गति का जुर्माना लगता है और वह स्वत: ही एक मैच के लिये प्रतिबंधित हो जायेगा। यह प्रतिबंध टीम के उस प्रारूप में होने वाले अगले मैच में लागू होगा। आईसीसी दिन रात्रि टेस्ट क्रिकेट मैच की संभावना तलाशने पर सहमत हो गयी है लेकिन उसने कहा कि उपयुक्त गेंद का सफल ट्रायल, इस पर शोध कि क्या शेयरधारक इसे चाहते हैं या नहीं और प्रथम श्रेणी स्तर पर इसके सफल ट्रायल के बाद ही इस पर विचार किया जाना चाहिए।
आईसीसी ने जो अन्य फैसले किये उनमें खराब या बेकार पिच तैयार करने के लिये बोर्ड और स्थान पर कड़ा जुर्माना लगाना भी शामिल है। इसके अलावा यह भी फैसला किया गया कि खराब रोशनी के कारण खेल तभी रोका जएगा जबकि अंपायर यह समझें कि परिस्थितियां खेल के लिये खतरनाक हैं तथा इस बारे में बल्लेबाजों की पेशकश के बजाय अंपायर फैसला करेंगे।