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मंदी पर वैश्विक भूमिका के लिए तैयारः पीएम

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि ब्रिक देशों (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) में भारत सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आर्थिक मंदी से उबरने के लिए भारत वैश्विक...

मंदी पर वैश्विक भूमिका के लिए तैयारः पीएम
एजेंसीMon, 15 Jun 2009 04:06 PM
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि ब्रिक देशों (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) में भारत सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आर्थिक मंदी से उबरने के लिए भारत वैश्विक भूमिका निभाने को तैयार है। अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में समन्वय स्थापित करने की अपनी भूमिका निभाने के लिए भारत तैयार है।

सिंह ने रूस की तीन दिवसीय यात्रा से पहले कहा कि ब्रिक समूह में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विकास के मोर्चे पर नेतृत्व देने की क्षमता है । रूस में ब्रिक शिखर सम्मेलन और शांगहाए कार्पोरेशन आर्गेनाइजेशन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है।

यात्रा पर रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि वस्तुतः वैश्विक आर्थिक मंदी से उबरना ब्रिक अर्थव्यवस्थाओं की सफलता पर निर्भर करता है । भारत ब्रिक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से विकास करने वाले देशों में से एक है और मौजूदा वित्तीय एवं आर्थिक मंदी से उबरने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में समन्वय के लिए भारत अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

एससीओ शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा,  इस सम्मेलन में शामिल होने का मेरा फैसला एससीओ के लिए हमारे सम्मान का प्रतीक है।  इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री पहली बार शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इससे मध्य एशिया के रूस जैसे कुछ दूरी पर मौजूद पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत करने की भारत की इच्छा भी जाहिर होती है । येकातेरिनबर्ग में अपने प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात करेंगे। मुंबई में पिछले साल नवंबर में हुए आतंकी हमलों के बाद से दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तर की यह पहली बैठक होगी। दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद सिंह की यह पहली विदेश यात्रा है ।

उन्होंने कहा कि भारत और एससीओ के बीच परस्पर हित के कई मुद्दे हैं। इनमें आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई, ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढांचा विकास, कृषि, परिवहन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग शामिल है। उन्होंने कहा,  भारत और एससीओ को एक दूसरे के साथ ऐसे सहयोग से काफी फायदा होगा।

सिंह ने कहा कि अपनी यात्रा के दौरान वह शिखर सम्मेलन में आए दुनिया के अन्य देशों के नेताओं के साथ बातचीत करना चाहेंगे। सिंह रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के निमंत्रण पर वहां जा रहे हैं। ब्रिक शिखर सम्मेलन के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक देश दुनिया की कुल आबादी के 40 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं और विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उनकी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है ।

उन्होंने कहा,  ब्रिक देशों को अंतरराष्ट्रीय मसलों में बहुपक्षीयता के सिद्धांत के प्रोत्साहन और संयुक्त राष्ट्र सहित वैश्विक प्रशासन से जुड़े संस्थानों में सुधार की दिशा में भूमिका निभानी है ताकि सामयिक वास्तविकताओं को प्रतिबिम्बित किया जा सके। सिंह ने कहा कि इन सभी नजरियों से ब्रिक देशों का पहला शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इसका मुख्य एजेंडा वैश्विक वित्तीय संकट, आतंकवाद और खाद्य सुरक्षा रहने की उम्मीद है।

भारत-पाक के परिप्रेक्ष्य में इस यात्रा का महत्व इसलिए है क्योंकि सिंह और जरदारी दोनों शिखर सम्मेलनों के दौरान अलग से मिलेंगे और द्धिपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के प्रयासों पर संभवतः चर्चा करेंगे। मुंबई में पिछले साल नवंबर में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से दोनों देशों के प्रमुखों के बीच यह पहली बातचीत होगी। भारत ने पाकिस्तान की ओर से आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई और आतंकी बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करने तक उससे बातचीत स्थगित कर रखी है ।

सिंह और जरदारी के बीच बैठक अनौपचारिक होगी और इसका कोई एजेंडा नहीं तय किया गया है, लेकिन इससे किसी स्तर पर द्धिपक्षीय बातचीत बहाल होने का रास्ता निकल सकता है बशर्ते दोनों नेता इसके लिए राजी हों। इससे पहले सिंह ने कहा था,  बातचीत का रास्ता अपनाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। पाकिस्तान के साथ शांति कायम करना हमारे व्यापक हित में है, लेकिन ताली दोनों हाथ से बजती है।

एससीओ सम्मेलन में सिंह की मौजूदगी छह देशों के समूह के शिखर सम्मेलन में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली शिरकत होगी । इस समूह में भारत की भूमिका पर्यवेक्षक की है । एससीओ में रूस, चीन, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गिस्तान हैं । भारत, पाकिस्तान, ईरान और मंगोलिया इसमें पर्यवेक्षक की भूमिका में हैं। ब्रिक शिखर सम्मेलन में चारों देशों द्वारा अंतरररष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के तत्काल सुधार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने की संभावना है।

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