चार श्रीलंकाई तमिल सांसदों ने भारत में डाला डेरा
श्रीलंका में तमिलों को जायज अधिकार दिलाने के मुद्दे पर भारत ने राजनयिक व राजनीतिक गतिविधियां तेज कर दी हैं। इस सिलसिले में तमिल नेशनल अलायंस के चार सांसद 9 जून से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।...
श्रीलंका में तमिलों को जायज अधिकार दिलाने के मुद्दे पर भारत ने राजनयिक व राजनीतिक गतिविधियां तेज कर दी हैं। इस सिलसिले में तमिल नेशनल अलायंस के चार सांसद 9 जून से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इन श्रीलंकाई तमिल सांसदों के नाम हैं आर.संपंथन, गजेन्द्र कुमार पोन्नबलम, मवाई सोमसुंदरम सेनाथिराज और सेलवम अदाईकलानाथन।
इन नेताओं ने विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा, बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.नारायणन और मंगलवार को विदेश सचिव शिव शंकर मेनन से भेंट की। इन सांसदों की मौजूदगी को गोपनीय रखा गया है। श्रीलंका की संसद में तमिल गठबंधन टीएनए के 22 सांसद हैं। 10 दिन पहले इन सांसदों ने करुणानिधि से भी मुलाकात की थी।
सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही महिन्द्रा राजपक्षे भारत आने वाले हैं। लिट्टे ने किसी उदारवादी नेता को उभरने नहीं दिया। उसने अमृतलिंगम, के.पद्मनाभा, टी. गणोशलिंगम, लक्ष्मण कादिरगमर (विदेश मंत्री), नीलन थिरुचेवलम, नागलिंगम मनिकदासन, धर्मलिंगम, महेश्वरी वेलुआथम, टी.महेश्वरन जसे उदारवादी तमिल नेताओं की हत्या कर दी थी।
लिट्टे के खात्मे के बाद तमिल नेतृत्व में पैदा हुए ‘वेक्यूम’ को भरने के लिए अब ऑल सिलोन तमिल कांग्रेस, ईलम पीपुल्स रिवोल्युशनरी लिबरेशन फ्रंट, तमिल ईलम लिबरेशन आर्गनाइजेशन और तमिल युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट को मिला कर 2001 में बने ‘तमिल नेशनल अलायंस’ के नेता सरकार से बातचीत के लिए खुद को सामने ला रहे हैं।
भारत इस मसले में काफी सोच समझ कर कदम उठा रहा है। भारत नहीं चाहता कि उसकी कोशिशों को श्रीलंका के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप समझ जाए। भारत चाहता है कि तमिलों को जल्दी ही बसाए।
साथ ही 1987 में भारत-श्रीलंका शांति समझौते के बाद श्रीलंका संविधान में किए गए 13वं संशोधन के मुताबिक श्रीलंकाई तमिलों को संविधान के दायरे में उनके अधिकार दे ताकि वे सम्मान और शांति के साथ रह सकें।