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कुंभ क्षेत्र नियंत्रण समिति में दोहरी भूमिका निभाएंगे बर्धन

कुंभ मेला अधिकारी आनंद बर्धन ने मंडलायुक्त गढ़वाल का दायित्व भी संभाल लिया है। इस जिम्मेदारी को संभालने के साथ ही कुंभ मेला व्यवस्थाओं, सृजित परिसंपत्तियों की सुरक्षा और अनुरक्षण सुनिश्चित करने के...

कुंभ क्षेत्र नियंत्रण समिति में दोहरी भूमिका निभाएंगे बर्धन
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 06 Jun 2009 12:43 AM
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कुंभ मेला अधिकारी आनंद बर्धन ने मंडलायुक्त गढ़वाल का दायित्व भी संभाल लिया है। इस जिम्मेदारी को संभालने के साथ ही कुंभ मेला व्यवस्थाओं, सृजित परिसंपत्तियों की सुरक्षा और अनुरक्षण सुनिश्चित करने के लिए गठित कुंभ क्षेत्र नियंत्रण और व्यवस्था समिति के अध्यक्ष बतौर आयुक्त गढ़वाल तथा सचिव बतौर हविप्रा उपाध्यक्ष आनंद बर्धन ही रहेंगे। इस समिति में बर्धन दोहरा दायित्व निभाएंगे।

कुंभ मेला तैयारियों के दृष्टिगत तथा कुंभ क्षेत्र नियंत्रण और व्यवस्था समिति बैठक की अध्यक्षता जहां आनंद बर्धन करेंगे, वहीं समिति के सदस्य सचिव के नाते बैठक का संचालन, एजेंडे के बिन्दुओं का ब्यौरा सदस्यों के बीच बर्धन ही रखेंगे। आयुक्त गढ़वाल, कुंभ मेलाधिकारी जसे बड़े दायित्व के साथ ही बर्धन हरिद्वार विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष का जिम्मा भी संभाले हुए हैं।

मंडलायुक्त होने के नाते हविप्रा बोर्ड बैठक में भी श्री बर्धन दोहरी भूमिका निभाएंगे। शासन के नए दायित्वों के बोझ तले दबे कुंभ मेलाधिकारी की चुनौतियां और बढ़ गई हैं। वर्ष 2004 में मेला नियंत्रण कक्ष बन जाने और लगातार कम होती मेला भूमि को लेकर चिंतित शासन ने 30 जुलाई 2004 को एक शासनादेश जारी कर कुंभ क्षेत्र नियंत्रण और व्यवस्था समिति गठित की थी।

समिति में सांसद, कुंभ क्षेत्र के विधायक, डीआईजी गढ़वाल, डीएम और एसएसपी हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी गढ़वाल, उपाध्यक्ष हविप्रा, अपर निदेशक स्वास्थ्य, महाप्रबंधक पावर कापरेरेशन, गंगा प्रदूषण, अध्यक्ष नगर पालिका हरिद्वार, षिकेश और नगर पंचायत मुनि की रेती, अधीक्षण अभियंता सिंचाई और लोनिवि, जल निगम, निदेशक राजजी पार्क, के साथ-साथ रेलवे, दूरसंचार, परिवहन निगम, भेल, बीईजी रुड़की, अखाड़ा परिषद, गंगासभा, धर्मशाला महासंघ, सेवा समिति और व्यापार मंडल का एक-एक प्रतिनिधि बतौर सदस्य शामिल होता है।

यह समिति अपने दायित्व नहीं निभा पाई। मेला भूमि की निगरानी, मेला क्षेत्र में अवस्थापना सुविधा के विकास की योजना यह समिति नहीं बना पाई। इस अवधि में मेला भूमि लगातार कम होती चली गई और कुंभ मेला तैयारियों को लेकर समिति कोई उल्लेखनीय भूमिका नहीं निभा सकी।

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