मनमानी का भरना पड़ा हर्जाना
मनपसंद गाना लगाएं..कॉल करने वालों को सुनाएं..। अक्सर मोबाइल उपभोक्ताओं के पास इस तरह की कॉल आती रहती हैं। इसके बाद बिना रिक्वेस्ट मोबाइल पर कॉलर ट्यून सेट भी हो जाती है। यह मनमानी, एक मोबाइल...
मनपसंद गाना लगाएं..कॉल करने वालों को सुनाएं..। अक्सर मोबाइल उपभोक्ताओं के पास इस तरह की कॉल आती रहती हैं। इसके बाद बिना रिक्वेस्ट मोबाइल पर कॉलर ट्यून सेट भी हो जाती है। यह मनमानी, एक मोबाइल कंपनी को खासी महंगी पड़ी। बिना डिमांड कॉलर ट्यून सेट होने से परेशान उपभोक्ता अदालत पहुंच गया। उपभोक्ता की परेशानी का सबब महज कॉलर टयून लगना ही नहीं, बल्कि कॉलर टयून लगने और उसे कटवाने की प्रक्रिया पर खर्च मगज और दाम दोनों था। फैसला उपभोक्ता के हक में आया, तो कॉलर ट्यून का गाना कंपनी पर हर्जाना बन गया।
साफ्टवेयर में गड़बड़ी का झेलमेल कर रही एयरटेल मोबाइल कंपनी पर उपभोक्ता अदालत ने 5 हजार रुपये जुर्माना किया है। जुर्माना राशि का भुगतान उपभोक्ता को मुआवजे के तौर पर किया जाएगा। अशोक विहार, फेज-4, निमरी कॉलोनी निवासी रितु गुप्ता ने शालीमार बाग स्थित जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम में शिकायतपत्र दाखिल किया था। रितु की शिकातय थी कि उसने वर्ष 1999 में एयरटेल कंपनी से मोबाइल नंबर लिया था। अक्तूबर 2005 में उसे कंपनी की ओर से संदेश आया कि वह अपना मनपसंद हेलो टयून लेने के लिए विकल्प चुने और फिर कुछ सेकेंड बाद ही उनके नंबर पर ‘कजरारे-कजरारे’ गाने की हेलो टयून बिना सहमति लगा दी गई। किसी तरह उन्होंने कई बार फोन करके हेलो टयून कटवाई।
इस प्रक्रिया पर कंपनी ने अपनी गलती मानने के बजय उलटा शिकायतकर्ता से टयून लगाने और काटने के लिए 80 रुपये वसूल लिए। अभी इस वाक्ये को छ: महीने भी नहीं बीते थे कि कंपनी ने पुन: शिकायतकर्ता के मोबाइल पर बिना रिक्वेस्ट अंग्रेजी गाना लगा दिया। इस बार भी हेलो टयून हटवाने के लिए शिकायतकर्ता को खासी मगजमारी करनी पड़ी। कंपनी के दजर्नभर नंबरों पर लगातार फोन करने पर शिकायतकर्ता के नंबर से हेलो टयून हटाई गई। इस बार फिर एयरटेल की गलती का खामियाज शिकायतकर्ता को 80 रुपये का नुकसान झेलकर उठाना पड़ा। शिकायतकर्ता ने मानसिक, आर्थिक और शारारिक उत्पीड़न के लिए एयरटेल कंपनी से 50 हजार रुपये की मांग करते हुए उपभोक्ता अदालत की शरण ली। कंपनी ने अदालत में माना कि साफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण उपभोक्ता को परेशानी ङोलनी पड़ी। लिहाज अदालत ने कंपनी को निर्देश दिए हैं कि160 रुपये की एवज में वह उपभोक्ता को 5 हजार रुपये की अदायगी करे।