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ग्लोबल वार्मिग यानी बढ़ेंगी दिल की मुश्किलें

लोबल वार्मिग का मतलब सिर्फ ध्रुवीय भालुआें के दक्षिण की आेर पलायन तक नहीं सिमटा है। विशेषज्ञों का खयाल है कि इस का असर आपके दिल पर भी पड़ सकता है। चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि ग्लोबल वार्मिग से...

 ग्लोबल वार्मिग यानी बढ़ेंगी दिल की मुश्किलें
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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लोबल वार्मिग का मतलब सिर्फ ध्रुवीय भालुआें के दक्षिण की आेर पलायन तक नहीं सिमटा है। विशेषज्ञों का खयाल है कि इस का असर आपके दिल पर भी पड़ सकता है। चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि ग्लोबल वार्मिग से बढ़ी गर्मी दिल पर भारी पड़ सकती है। उन्होंने हृदय रोगियों को खास तौर पर सावधान रहने की हिदायत दी है। स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीटय़ूट में हृदयरोग विभाग के अध्यक्ष डा. कैरिन स्नैक-गुस्ताफसन कहते हैं, ‘अगर अगले 50 वषरे में कुछ डिग्री तापमान और बढ़ा, तो यकीन जानिए हृदय रोगियों की संख्या में अच्छा-खासा उछाल तय है।’ यहां हो रहे यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के वार्षिक सम्मेलन के दौरान कई विशेषज्ञों ने कहा कि उक्त आशंका पर और ध्यान दिए जाने की जरूरत है। यह जांचा-परखा तथ्य है कि गर्मी बढ़ने के साथ दिल के रोगियों की दिक्कत बढ़ने लगती है। उन्होंने बताया कि 2003 में चली भीषण लू ने अगस्त के पहले दो हफ्तों में यूरोप में अपेक्षा से 35,000 ज्यादा जानें चली गई थीं। अकेले फ्रांस में लगभग 15,000 अतिरिक्त रोगी मौत के शिकार बने। विशेषज्ञों की राय में इनमें से अधिकांश ऐसे हृदय रोगी थे, जो बढ़ी हुई गर्मी को झेल नहीं पाए। वे कहते हैं कि हृदय की रक्त वाहिकाआें का लचीलापन समाप्त होना ऐसा ही है जैसे किसी कार में जंग लगना। जॉन हॉपकिंस युनिवर्सिटी के डा. गॉर्डन टोमासेली बताते हैं, ‘गर्म मौसम में कार में ज्यादा जंग लगता है। यही हाल दिल के रोगियों का भी होता है।’ तापमान बढ़ने पर शरीर गर्मी से निजात पाने के लिए पसीना छोड़ता है। इस प्रक्रिया में खून चमड़ी की तरफ आता है, जहां का तापमान कम होता है। इससे रक्त वाहिकाएं खुल जाती हैं। बदले में दिल की धड़कन बढ़ जाती है और ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। यह बात उम्र दराज लोगों और दिल के रोगियों पर बहुत भारी पड़ती है।ं

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