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काम की नहीं सेतुसमुद्रम:नौसेना

सेतु समुद्रम परियोजना पर मचे राजनीतिक और धार्मिक घमासान के बीच नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुरीश मेहता ने भी इशारों में जता दिया है कि सेतुसमुद्रम शिपिंग नहर परियोजना नौसेना के किसी काम की नहीं है। प्राप्त...

 काम की नहीं सेतुसमुद्रम:नौसेना
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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सेतु समुद्रम परियोजना पर मचे राजनीतिक और धार्मिक घमासान के बीच नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुरीश मेहता ने भी इशारों में जता दिया है कि सेतुसमुद्रम शिपिंग नहर परियोजना नौसेना के किसी काम की नहीं है। प्राप्त खबरों के मुताबिक चेन्नई में सोमवार की रात एक सेमिनार के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा है कि यह परियोजना यूं तो ठीक है लेकिन सेतुसमुद्रम नहर से बड़े पोत नहीं गुजर सकते। नौसेनाध्यक्ष से इस बात को स्पष्ट करने का अनुरोध करने पर उन्होंने जो जवाब दिया वह भी अर्थपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘यह तमिलनाडु है और मामला संवेदनशील है।’ जाहिर है इस मामले के राजनीतिक फलितार्थ से वह आशंकित हैं और इस परियोजना के बारे में जो सोचते हैं, उसे कहने से बचना चाहते हैं। नौसेना सूत्रों के मुताबिक नौसेना का विमानवाही पोत आईएनएस विराट ही नहीं, पनडुब्बी टोही विध्वंसक और फ्रिगेट भी इसमें से नहीं गुजर सकते। इस नहर की गहराई लगभग 12 मीटर होगी जबकि बड़े जंगी पोतों का निचला हिस्सा करीब दस मीटर (चार से पांच मंजिल) तक डूबा रहता है। इतनी कम गहराई पर जंगी पोत पूरी रफ्तार से गुजरें तो समुद्र की सतह से टकरा कर डूब सकते हैं। यूं भी कम गहराई में तेजी से चलने वाले पोतों से जो करंट पैदा होता है, वह पोत को पलट सकता है। विमानवाही पोत कभी अकेला नहीं चलता। उसके साथ विध्वंसक, फ्रिगेट और ईंधन भरने वाले जहाजों का एक बेड़ा चलता है। युद्ध के समय जंगी पोत अपनी अधिकतम रफ्तार 22 से 30 समुद्री मील प्रति घंटा से चलते हैं जबकि सेतुसमुद्रम से किसी जंगी जहाज को गुजरना हो तो उसे अपनी रफ्तार घटा कर छह समुद्री मील प्रति घंटा करनी होगी। विध्वंसक और फ्रिगेटों में पनडुब्बी टोही सोनार यंत्र इसके तले में लटके रहते हैं। यदि कम गहरे पानी में जहाज को रफ्तार से चलाया जाए तो ये टूट सकते हैं और जहाज को भारी नुकसान होने के साथ ही सुरक्षा तैयारियां भी प्रभावित हो सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक यह जरूर है कि सेतुसमुद्रम नहर से कार्वेट क्लास की गश्ती या मिसाइल नौकाएं गुजर सकती है लेकिन उन्हें भी रफ्तार काफी धीमी करनी पड़ेगी। एडमिरल मेहता ने यह भी कहा है कि नहर से अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक पोत नहीं गुजर सकते। इस लिहाज से नहर सिर्फ देश पश्चिमी और पूर्वी भागों के बीच माल ढोने वाले छोटे जहाजों के ही काम आएगी। रक्षा विशेषज्ञ सी.उदयभास्कर का भी कहना है कि सेतुसमुद्रम नहर बनने के बाद आतंकवादी खतरा हमारे और करीब पहुंच सकता है। इस नहर से गुजरने वाली संदिग्ध नौकाओं पर नजर रखने के लिए नौसेना को ज्यादा संख्या में गश्ती नौकाएं तैनात करनी पडेंगी। साथ ही श्रीलंका के साथ भी नए समझौते करने पड़ेंगे। इतना ही नहीं, समय बचाने के जिस उद्देश्य से यह नहर बन रही है, रफ्तार कम होने से वह उद्देश्य भी पूरा नहीं होता।

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