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संस्कृति मंत्रालय की नजर में आस्था का मामला है रामसेतु

रामसेतु के मुद्दे पर केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने आखिरकार एक सुरक्षित रास्ता निकाल लिया है। रामसेतु कुदरत की देन है या मानव निर्मित, रामायण की घटनाएं इतिहास का हिस्सा हैं या केवल एक कहानी और...

 संस्कृति मंत्रालय की नजर में आस्था का मामला है रामसेतु
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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रामसेतु के मुद्दे पर केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने आखिरकार एक सुरक्षित रास्ता निकाल लिया है। रामसेतु कुदरत की देन है या मानव निर्मित, रामायण की घटनाएं इतिहास का हिस्सा हैं या केवल एक कहानी और भगवान राम के अस्तित्व के ऐतिहासिक प्रमाण हैं या नहीं, इस तरह के तमाम सवालों और विवादों के बीच संस्कृति मंत्रालय का विचार है कि यह ‘आस्था से जुड़ा मसला’ है। वह केंद्र सरकार को सलाह देगा कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में ताजा हलफनामा पेश करते समय वह ‘लोगों की भावनाआें को ध्यान में रखे’। सेतु समुद्रम परियोजना के सिलसिले में रामसेतु को लेकर उठे विवाद के हालिया घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी को केंद्र सरकार को इस परियोजना से संबंधित हलफनामा पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। पिछले साल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने रामसेतु पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया था। उसमें भगवान राम के अस्तित्व के ऐतिहासिक प्रमाण के अभाव का जिक्र था। उसमें यह भी कहा गया था कि यह सेतु प्राकृतिक तौर पर निर्मित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इस हलफनामे पर तूफान खड़ा हो गया था। इसको लेकर संस्कृति मंत्रालय और उसकी मंत्री अम्बिका सोनी की काफी किरकिरी हुई थी। भारी विरोध के मद्देनजर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह हलफनामा वापस ले लिया था। अब केंद्र को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष नया हलफनामा पेश करना है। ऐसे में संस्कृति मंत्रालय ने अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया है कि रामसेतु का मुद्दा आस्था से जुड़ा हुआ है। उसने सरकार को यह सलाह देने का फैसला किया है कि वह इस मुद्दे पर जनभावनाआें को ध्यान में रखे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चूंकि यह आस्था का मामला है, अत: हम इसके पक्ष में नहीं हैं कि रामसेतु के वैज्ञानिक या ऐतिहासिक साक्ष्यों को लेकर सवाल खड़े किए जाएं। मंत्रालय इस पर नए हलफनामे के संदर्भ में लोगों की भावनाआें को नजरअंदाज करने के खिलाफ है। अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दिए जाने वाले नये हलफनामे में वे विवादास्पद पंक्ितयां हटा ली जाएंगी, जो पूर्व के हलफनामे में थीं।ड्ढr उल्लेखनीय है कि सेतु समुद्रम परियोजना के तहत भारत और श्रीलंका के बीच से समुद्र में नौवहन चैनल खोदा जाना है।

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