मंत्रिमंडल की तर्ज पर काम करेगी नगर निगम सशक्त स्थायी समिति
नगर निगम के अधिकारियों और पार्षदों के बीच शुरू हुई अहम की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है। अधिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए मेयर ने एक नया तरीका खोज निकाला है। पटना नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति अब...
नगर निगम के अधिकारियों और पार्षदों के बीच शुरू हुई अहम की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है। अधिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए मेयर ने एक नया तरीका खोज निकाला है। पटना नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति अब राज्य मंत्रिमंडल की तर्ज पर काम करेगी। समिति के सदस्यों को नगर निगम के विभिन्न शाखाआें का प्रभारी बनाया जायेगा। प्रभारी पार्षद मंत्री की भूमिका में नजर आएंगे।ड्ढr ड्ढr प्रभारी पार्षद द्वारा मंत्री के तरह अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यकलापों पर निगरानी रखी जायेगी। इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है। निगम के विधि परामर्शी से भी मेयर ने राय मांगी है। मेयर संजय कुमार ने भी सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों को निगम के विभिन्न शाखाआें का प्रभारी बनाने की बात स्वीकार की है। मेयर ने बताया कि निगम के अधिकारी अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। सशक्त स्थायी समिति को भी आय-व्यय का ब्योरा नहीं दिया जाता है। प्रत्येक वाडर्ो में 50-50 सीएलएफ बल्ब लगाने के संबंध में सशक्त स्थायी समिति की बैठक में संचिका मांगी गयी थी लेकिन अधिकारी एक दूसरे की जिम्मेदारी बताकर टाल-मटोल कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में पार्षदों को विभिन्न शाखाआें के कार्यकलापों पर निगरानी रखने के लिए प्रभारी बनाना आवश्यक हो गया है। समिति के एक-एक सदस्य को जलापूर्ति शाखा, स्वास्थ्य, राजस्व, योजना एवं विकास शाखा समेत अन्य शाखाआें कर प्रभारी बनाया जायेगा।ड्ढr ड्ढr दूसरी आेर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब पार्षदों और नगर आयुक्त राणा अवधेश सिंह के बीच कानूनी लड़ाई शुरू होने वाली है। मेयर या सशक्त स्थायी समिति के समक्ष आय-व्यय से संबंधित संचिका उपस्थापित करने में टाल-मटोल कर रहे हैं। मेयर द्वारा सशक्त स्थायी समिति के सदस्य को निगम की शाखाआें का प्रभारी बनाने की तैयारी का अधिकारियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। जबकि मेयर ऐसा करने पर अड़े हैं। मामला शाखा के प्रभारी पार्षद के समक्ष संचिका उपस्थापित करने को लेकर उलझ गयी है। इस मामले पर पार्षदों का मत भी अलग-अलग है।ड्ढr पार्षदों का कहना है कि आय-व्यय से संबंधित संचिका शाखा के प्रभारी पार्षद के माध्यम से मेयर या सशक्त स्थायी समिति के समक्ष उपस्थापित की जाये लेकिन ऐसा करने में कानूनी अड़चन है। इसी के समाधान के लिए विधि परामर्शी से मेयर ने राय मांगी है। माना जा रहा है कि शीघ्र की इस संबंध में सशक्त स्थायी समिति में प्रस्ताव पारित कर दिया जायेगा।