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समाज की अंतिम पंक्ित को ध्यान में रखकर बने बजट

विद्यासागर सामाजिक सुरक्षा सेवा एवं शोध संस्थान, प्रैक्िसस एवं वादा ना तोड़ो अभियान के तत्वावधान में ‘बिहार बजट के लिए लोक पहल’ विषय पर शुक्रवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। विधान परिषद सभागार में...

 समाज की अंतिम पंक्ित को ध्यान में रखकर बने बजट
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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विद्यासागर सामाजिक सुरक्षा सेवा एवं शोध संस्थान, प्रैक्िसस एवं वादा ना तोड़ो अभियान के तत्वावधान में ‘बिहार बजट के लिए लोक पहल’ विषय पर शुक्रवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। विधान परिषद सभागार में आयोजित कार्यशाला में अर्थशास्त्री एवं आम प्रतिभागियों ने एक स्वर में गरीबोन्मुख एवं ग्रामोन्मुख बजट की मांग की। साथ ही यह आशा व्यक्त की कि समाज के अंतिम पंक्ित के लोगों को ध्यान में रखकर बजट बनाया जाना चाहिए। कार्यशाला की अध्यक्षता बिहार नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष भोला प्रसाद सिंह ने की एवं उद्घाटन उड़ीसा योजना आयोग के सदस्य डा. जगदानंद ने किया।ड्ढr ड्ढr कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए श्री सिंह ने कहा कि हमें यह तय करना पड़ेगा कि हम देश को उपभोक्ता देश बनाना चाहते हैं या उत्पादक देश। उन्होंने कहा कि जब तक हम स्पष्ट नहीं होंगे कि बजट उपभोक्तावाद को बढ़ावा देने वाला होगा या आम आदमी की बेहतरी वाला, तबतक हम विकास नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जनता को धन का बजट नहीं चाहिए काम का बजट चाहिए। अतिथियों का स्वागत तथा विषय प्रवेश करते हुए संस्थान के निदेशक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि अभी राज्य की 40 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे है और सरकार ने वर्ष 2015 तक इसे 28 प्रतिशत लाने का लक्ष्य रखा है। अर्थशास्त्री डा. ईश्वरी प्रसाद ने कहा कि जब तक बजट को मूलभूत रूप से बदलकर कृषि आधारित नहीं बनाया जाएगा तब तक राज्य का कल्याण संभव नहीं है। अन्य वक्ताआें में विधान परिषद के पूर्व सदस्य इन्द्र कुमार, नागेन्द्र प्रसाद सिंह, श्रीरामाधार, अमिताभ बेहर, पॉल दिवाकर,डा. महावीर प्रसाद, प्रो. पी.के. द्विवेदी एवं डा. डेजी नारायण सहित कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए।

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