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दोषियों को बचाने में जुटा परिवहन विभाग

परिवहन विभाग 75 करोड़ रुपये के घोटाले के दोषियों को बचाने में जी-जान से जुटा है। घोटालेबाजों पर हुई कार्रवाई और राशि वसूली की समीक्षा कर रही विधानसभा में प्राक्कलन समिति की परिवहन मामलों की उप समिति...

 दोषियों को बचाने में जुटा परिवहन विभाग
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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परिवहन विभाग 75 करोड़ रुपये के घोटाले के दोषियों को बचाने में जी-जान से जुटा है। घोटालेबाजों पर हुई कार्रवाई और राशि वसूली की समीक्षा कर रही विधानसभा में प्राक्कलन समिति की परिवहन मामलों की उप समिति ने विभाग के रवैये पर सवाल खड़ा कर दिया है। पिछली 18 बैठकों की तरह गुरुवार को भी विभागीय अधिकारी आधी-अधूरी जानकारी के साथ बैठक में पहुंचे तो उप समिति के अध्यक्ष रामदेव वर्मा एकदम भड़क उठे। उन्होंने साफ-साफ शब्दों में चेताया कि अगर 2रवरी तक पूरी जानकारी नहीं मिली तो वे परिवहन विभाग पर दोषियों को बचाने और उपसमिति के साथ असहयोगात्मक रवैया अपनाने की रिपोर्ट पेश कर देंगे। उप समिति को 31 मार्च को समाप्त हो रहे कार्यकाल से पहले रिपोर्ट देनी है।ड्ढr ड्ढr अधिकारियों और वाहन मालिकों की मिलीभगत से कर चोरी के मामले 10 से 2003 के बीच के हैं। जिला परिवहन कार्यालयों में वर्ष 10 से 2003 के बीच कर चोरी के 18216 मामलों में 2रोड़ रुपये अटके हैं। आरटीए और प्रवर्तन तंत्र के मामलों को मिलाकर राशि लगभग 75 करोड़ रुपये हो जाती है। तत्कालीन परिवहन आयुक्त सह सचिव एन.के.सिन्हा ने 18 अप्रैल 2003 को पत्र संख्या 1564, 1565 और 1566 के माध्यम से रिपोर्ट तलब की। सूत्रों की मानें तो वाहन मालिकों ने परिवहन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी नाम-पते पर वाहनों का निबंधन कराया था। लिहाजा श्री सिन्हा के पत्र को ही दबा दिया गया।ड्ढr ड्ढr उप समिति ने इस मामले को फिर से उठाया तो विभाग में खलबली मच गयी। श्री वर्मा साफ तौर पर कहते हैं कि परिवहन विभाग पूरे तथ्य उपलब्ध कराने में नाकाम रहा। हरबार कोई ना कोई बहाना बना दिया जाता है। गुरुवार को भी विभागीय संयुक्त सचिव पत्र संख्या 1564 के तहत मधुबनी, जमुई, वैशाली, औरंगाबाद, अररिया और खगड़िया, पत्र संख्या 1565 के तहत खगड़िया, समस्तीपुर, कटिहार, बेगूसराय, दरभंगा, अरवल, औरंगाबाद, वैशाली, जमुई और मधुबनी जबकि पत्र संख्या 1566 के तहत रोहतास, खगड़िया, समस्तीपुर, मधुबनी, जमुई, वैशाली, अरवल, औरंगाबाद, बांका और पूर्णिया की आधी-अधूरी रिपोर्ट लेकर पहुंचे। रिपोर्ट में आंकड़ों के बजाय यही लिखा है कि ‘संक्षिप्त सार संलग्न है।’

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