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ऑफ स्टंप पर सुधार में लगे हैं मास्टर ब्लास्टर

ऑस्ट्रेलिया में मौजूदा त्रिकोणीय सीरीज में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी अभी तक अपनी ब्लास्ट फॉर्म में नहीं आ सके हैं। इतिहास में सबसे ज्यादा वनडे खेलने वाले, सबसे ज्यादा रन, शतक, अर्धशतक आदि कई...

 ऑफ स्टंप पर सुधार में लगे हैं मास्टर ब्लास्टर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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ऑस्ट्रेलिया में मौजूदा त्रिकोणीय सीरीज में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी अभी तक अपनी ब्लास्ट फॉर्म में नहीं आ सके हैं। इतिहास में सबसे ज्यादा वनडे खेलने वाले, सबसे ज्यादा रन, शतक, अर्धशतक आदि कई रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराने वाले मास्टर ब्लास्टर फिलहाल मौजूदा त्रिकोणीय सीरीज में रनों की तलाश मेंलगे हुए हैं। रविवार को ऑस्ट्रेलिया के साथ होने वाले मैच में वे संभवत: कुछ नया कर सकें क्योंकि वे लगातार ऑफ स्टंप से बाहर की गेंदों पर प्रैक्िटस में लगें हैं। सचिन ने अभी तक सीबी सीरीज की चार पारियों में 10, 35, 44 और 32 रन बनाए हैं। इनमें से तीन बार तो वे अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में तब्दील करने में नाकाम रहे। अब सचिन फील्डिंग कोच रॉबिन सिंह के साथ विशेष सत्र में लगे हैं। उन्होंने रॉबिन से कहा है कि वे नेट गेंदबाज से उन्हें ऑन और ऑफ स्ंटप के बाहर गेंदे कराने को कहें। तेंदुलकर को पता है कि मेजबान गेंदबाज उनके पैड पर कम गेंदे ही कराएंगे। उनकी नजर विशेष रूप से स्टुअर्ट क्लार्क पर है। न्यू साउथ वेल्स के इस गेंदबाज के लिए ही उन्होंने टेस्ट सीरीज के दौरान भी विशेष रूप से प्रैक्िटस सेशन रखा था। अब वे ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर अपनी समझ को और ज्यादा पुख्ता करना चाहते हैं कि किस गेंद को खेलें और किसे छोड़ें। इसके लिए उन्होंने रॉबिन सिंह को विशेष रूप से हिदायत दी है, मुझे ऑफ स्टंप के बाहर गेंदे करें, जो उठती हुई हों। वे अपनी इस विशेष प्रैक्िटस को बहुत अहमियत दे रहे हैं और उन्हें खेलता देखना युवा खिलाड़ियों के लिए भी काफी अहम है। ये इसी से पता चल सकता है कि एक दिन महेन्द्र सिंह धोनी बैटिंग की बारी का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने उस दौरान लिटिल मास्टर की बैटिंग देखी। उनका फुटवर्क और स्ट्रोक के वक्त उनकी कोहनी का एंगल, सब में उनकी तकनीकी महारत भी नजर आ रही थी। मध्य क्रम के युवा बल्लेबाज सुरेश रैना को भी अब तक दौरे पर अपना हुनर दिखाने का मौका नहीं मिला है। फिर भी वे सचिन को पास से खेलते देखने का मौका चूकना नहीं चाहते। उन्होंने कहा, उन्हें पास से खेलते देखने से ही आप काफी कुछ सीख सकते हैं। जिस तरह वे शॉटों का चुनाव करते हैं और जिस तकनीक से खेलते हैं, वह अपने आप में युवा खिलाड़ियों के लिए बहुत बड़ा सबक है। पिछली गर्मियों में इंग्लैंड दौरे के बाद से तेंदुलकर के वनडे अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों से रिटायरमेंट की चर्चा भी कभी-कभी उठती रही है। हालांकि उसके बाद से सचिन ने 27 मैचों में 1232 रन बनाए जिनमें छह बार वे 0 के लपेटे में भी आउट हुए। उसके बावजूद वे अपने शतकों की संख्या को 41 तक ले गए। दूसरी ओर वे पिछले एक साल में 33 टेस्ट में एक भी शतक नहीं लगा सके हैं। इससे साबित होता है कि इस महान बल्लेबाज का क्रिकेट की जुनून अभी खत्म नहीं हुआ है, न ही उनकी इस खेल में दिलचस्पी में कोई कमी नहीं आई है और न ही उनकी फिटनेस में किसी तरह की कमी है। इसके बावजूद उनकी मौजूदा फॉर्म कुछ चिंता का विषय जरूर है।

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