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रोड मैप के प्रारूप से कृषि वैज्ञानिक संतुष्ट

सूबे में कृषि क्षेत्र के त्वरित विकास के लिए महीनों की कवायद के बाद तैयार रोड मैप के प्रारूप से कृषि वैज्ञानिक भी काफी हद तक संतुष्ट हैं। उन्हें इसमें संशोधन की खास गुंजाइश नहीं दिख रही है। यही कारण...

 रोड मैप के प्रारूप से कृषि वैज्ञानिक संतुष्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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सूबे में कृषि क्षेत्र के त्वरित विकास के लिए महीनों की कवायद के बाद तैयार रोड मैप के प्रारूप से कृषि वैज्ञानिक भी काफी हद तक संतुष्ट हैं। उन्हें इसमें संशोधन की खास गुंजाइश नहीं दिख रही है। यही कारण है कि कृषि नीति बनाने को जब किसानों, वैज्ञानिकों और अधिकारियों के बीच सीधी बहस छिड़ी तो रविवार को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल का नजारा विधान सभा जैसा लग रहा था।ड्ढr ड्ढr अधिकारियों ने कृषि विकास के लिए तैयार रोड मैप के प्रारूप को जब पेश किया तो उपस्थित वैज्ञानिक भी संशोधन की संभावनाएं नही ढूंढ़ सके। गहन मंथन के बाद तैयार इस रोड मैप में यह दर्शाया गया है कि कृषि क्षेत्र को यदि विकसित नहीं किया गया तो यह किसानों के लिए सिर्फ जीविका का साधन बनकर रह जायेगा। उन्नयन के लिए इसे लाभकारी बनाना जरूरी है और सरकार ने इस दिशा में आवश्यक पहल शुरू कर दी है। वैज्ञानिकों ने प्रारूप की सराहना करते हुए कहा कि सरकार ने जिस इन्द्रधनुषी क्रांति की कल्पना की है उसे जमीन पर उतार दिया गया तो असंभव सिर्फ वही रह जायेगा जिसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती। देश में पहली बार ऐसा हो रहा है जब कृषि के साथ किसानों को भी केन्द्र में रखकर चर्चा हो रही है। हमेशा से अलाभकारी रही कृषि को लाभकारी बानने के लिए उपलब्ध संसाधनों का भरपूर दोहन, उत्पादों का प्रशोधन और मूल्य संवर्धन की आवश्यकता जताते हुए वैज्ञानिकों ने रोड मैप के प्रारूप को उच्च सोच के साथ तैयार की गई सफलता की वास्तविक कुंजी बताया।ड्ढr ड्ढr भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. मंगला राय ने कहा कि सरकार द्वारा तैयार यह पैकेज अगर गांवों में गया तो तीन साल में विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने बेहतर प्रजाति के बीजों की आवश्यकता जताते हुए कहा कि सरकार को सूचनाआें को ज्ञान में पर्वितित करने वाली टीम बनानी होगी। उस टीम को गांवों में भेजकर किसानों का ज्ञान बढ़ाना होगा फिर तो वे खुद ही अपनी आमदनी बढ़ाने में सफल हो जायेंगे। खेती को लाभकारी बनाने के लिए किसानों को उनके उत्पाद अच्छी कीमत मिले यह व्यवस्था भी करनी होगी।ड्ढr केन्द्र सरकार के पूर्व कृषि सचिव और एशियन डेवलपमेंट बैंक के टीम मैनेजर आरसीए जैन ने कहा कि उत्पादकता पर पहले भी प्रयास हुए हैं और हरित क्रांति उसी का प्रतिफल है लेकिन पहली बार किसानों की आमदनी बढ़ाने पर चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता बढ़ाये बिना कृषि उत्पादों का मूल्य क्षमता कम होता है। इस समस्या से निपटने के लिए उत्पादों के प्रसंस्करण और भंडारण की बेहतर व्यवस्था करनी जरूरी है। उन्होंने रोड मैप में बागवानी विकास और सिंचाई की बेहतर व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सरकार के प्रयास को क्रांतिकारी बताते हुए कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित और प्रश्रय देने की सलाह दी।

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