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आपसी मतभेद भुला कर दुनिया आर्थिक मंदी से निपटने के लिए एकाुट हो गई है। मंदी से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष 11 खरब डॉलर देगा। टैक्स चोरी करने वालों पर लगाम लगाने वाली नीतियाँ बनेंगी। गुरुवार को जी-20 समिट में इन बातों पर आम सहमति बनी।ड्ढr भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सम्मेलन में विकासशील देशों का पक्ष पूरी दृढ़ता से रखा। मनमोहन ने कहा, ‘विकसित व संपन्न देश अपनी संरक्षणवादी नीतियों से बाज आएँ। मंदी का दौर लंबा खिंचने के लिए ऐसी ही नीतियाँ जिम्मेदार हैं।’ सम्मेलन में इस बात पर आम सहमति बनी कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष मंदी से निपटने के लिए 11 खरब अमेरिकी डॉलर उपलब्ध करवाएगा। इसमें 750 अरब अमेरिकी डॉलर गरीब देशों को बतौर अतिरिक्त मदद दिए जाएँगे, जबकि 250 अरब अमेरिकी डॉलर विश्व व्यापार बढ़ाने के लिए खर्च किए जाएँगे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने कहा कि अब अमेरिकी आम सहमति का जमाना नहीं है। अब वैश्विक सहमति का जमाना है। नौकरियों में बढ़ोतरी व आर्थिक जगत में दोबारा भरोसा पैदा करने के लिए हमें एक साथ मिल कर कदम उठाने होंगे।ड्ढr हालाँकि मंदी से निपटने के लिए 11 खरब डॉलर देने के फैसले का फ्रांस और जर्मनी ने विरोध किया था। जी-20 बैठक का विरोध कर रह प्रदर्शनकारियों न गुरुवार को बैंकों पर धावा बोला दिया। 4000 प्रदर्शनकारियों न पहल बैंक ऑफ इंग्लैंड और फिर रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड पर हमला कर दिया। झड़पां मं कई अधिकारी घायल हो गए। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई।