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पीपीपी-अमेरिका के रुख से मुशर्रफ की मौज

एक आेर जहां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ काम करने पर सहमति जताई है, वहीं अमेरिका के बुश प्रशासन ने भी कहा है वह मुशर्रफ को अपना भरपूर सपोर्ट जारी...

 पीपीपी-अमेरिका के रुख से मुशर्रफ की मौज
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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एक आेर जहां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ काम करने पर सहमति जताई है, वहीं अमेरिका के बुश प्रशासन ने भी कहा है वह मुशर्रफ को अपना भरपूर सपोर्ट जारी रखेगा। हालांकि अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान में नई सरकार के गठन में उसका कोई रोल नहीं होगा और यह पाकिस्तानी अवाम पर निर्भर है कि वह किस तरह की सरकार देखना चाहती है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेट्री डाना पेरिनो के मुताबिक, लेकिन राष्ट्रपति बुश निश्चित ही परवेज मुशर्रफ को अपना समर्थन जारी रखेंगे क्योंकि वह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक अभियान में मुशर्रफ की भूमिका को महत्वपूर्णड्ढr मानते हैं। पीपीपी के आला नेता और पार्टी की आेर से प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार मख्दूम अमीन फहीम ने कहा है कि यदि उनकी पार्टी की सरकार को संसद में विश्वास मत प्राप्त हो जाए तो वह राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ काम करने को तैयार है। फहीम के मुताबिक, हम संसद को अधिक से अधिक शक्ितयां देने की कोशिश करेंगे। इससे लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी जनरल मुशर्रफ के साथ सहयोग करेगी, उन्होंने कहा कि जनरल मुशर्रफ ने सेना प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया है। अब वह राष्ट्रपति हैं। यदि वह अपने पद पर बने रहेंगे तो हमें काम करना ही पड़ेगा। फहीम ने अपदस्थ जजों की बहाली के मुद्दे पर कहा कि पीपीपी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) ने इस विषय को संसद के समक्ष ले जाने का निर्णय लिया है। अब संसद ही इस पर फैसला लेगी।इस बीच न्यूयार्क के ‘वॉल स्ट्रीट जनरल’ को दिए एक इंटरव्यू में पीपीपी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने कहा है कि उनकी गठबंधन सरकार राष्ट्रपति मुशर्रफ के विरुद्ध महाभियोग लाने की स्थिति में नहीं है और इसीलिए वह उनके साथ कामकाजी रिश्ते रखने के पक्ष में है।ड्ढr उन्होंने कहा, जमीनी हकीकत यही है कि हमारे पास संसद में दो तिहाई बहुमत नहीं है जो महाभियोग की सफलता के लिए जरूरी है। जरदारी ने कहा, हमें लोकतंत्र स्थापित करना है जिसके लिए हमें एकता की जरूरत है, टकराव की नहीं।

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