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मौत की घंटी बनी कैंसर की दवाइयां

ीमोथैरेपी के बाद शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की वृद्धि के लिए कैंसर पीड़ितों की दी जाने वाली दवाइयां उनके लिए घातक साबित होती है। दवाइयों के सेवन से मरीजों की मौत का खतरा बढ़ जाता है। इस...

 मौत की घंटी बनी कैंसर की दवाइयां
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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ीमोथैरेपी के बाद शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की वृद्धि के लिए कैंसर पीड़ितों की दी जाने वाली दवाइयां उनके लिए घातक साबित होती है। दवाइयों के सेवन से मरीजों की मौत का खतरा बढ़ जाता है। इस तथ्य का खुलासा अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध से हुआ है। मैरीलैंड में 13 मार्च को इन दवाइयों के दुष्प्रभावों पर चर्चा के लिए ‘अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन’ की ‘आेनकोलोजिक ड्रग्स एडवाइजरी कमिटी’ द्वारा बैठक आयोजित की जाएगी। हाल ही में ‘नार्थवेस्टर्न यूनीवर्सिटी’ के ‘फेनबर्ग स्कूल ऑफ मेडीसिन’ के वैज्ञानिकों को एक अध्ययन में ज्ञात हुआ कि कैंसर पीड़ितों के खून में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने के लिए दी जाने वाली दवाइयों से कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं में वृद्धि होती है। इस कारण मरीजों की मौत का खतरा बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों ने कैंसर के 13,613 मरीजों पर 51 बार अध्ययन किया। इस अध्ययन में दवाइयों के सेवन के बाद 10 फीसदी मरीजों में मौत के खतरे की संभावना दिखाई दी। साथ ही 57 फीसदी मरीजों की टांगों और फेफड़ों में खून के थक्के जमने के खतरे के बारे में भी पता चला, जिसकी पुष्टि एक पुराने शोध में भी की जा चुकी थी। ‘नार्थवेस्टर्न मेमोरियल अस्पताल’ के हेमैटालाजिस्ट व अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता चार्ल्स बैनेट ने बताया, ‘दवा के ईजाद होने के 15 साल बाद हम उसके दुष्प्रभावों को पहचान सके हैं।’

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