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धर्म के अनुसार आचरण से कर सकते राष्ट्र निर्माण में योगदान: राज्यपाल

आचार का, व्यवहार का, नीति का और प्रीति का सार है महाभारत। ये बातें राज्यपाल आर एस गवई ने मंगलवार को स्व. दामोदर प्रसाद द्वारा लिखित महाभारत के संक्षिप्त अंग्रेजी अनुवाद का लोकार्पण करते हुए कहीं।...

 धर्म के अनुसार आचरण से कर सकते राष्ट्र निर्माण में योगदान: राज्यपाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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आचार का, व्यवहार का, नीति का और प्रीति का सार है महाभारत। ये बातें राज्यपाल आर एस गवई ने मंगलवार को स्व. दामोदर प्रसाद द्वारा लिखित महाभारत के संक्षिप्त अंग्रेजी अनुवाद का लोकार्पण करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि धर्म के अनुसार अपने आचरण द्वारा हम समाज और राष्ट्र के निर्माण में योगदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्व. प्रसाद ने इस रचना के माध्यम से अपने सामाजिक ऋण से मुक्ित पा ली।ड्ढr ड्ढr इस मौके पर बिहार धार्मिक न्यास पर्षद के प्रशासक आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि महाभारत सिर्फ धर्मग्रंथ नहीं है। इसमें धर्मशास्त्र, कामशास्त्र, अर्थशास्त्र और मोक्षशास्त्र सभी समाहित है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में प्रकाशित इस पुस्तक के माध्यम से देश-विदेश में बसे अहिन्दीभाषी लोगों को काफी फायदा होगा। लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए डा. शैलेश्वर सती प्रसाद ने अपने मूल्यों को खो रही आज की पीढ़ी से इस पुस्तक को पढ़ने की अपील की।ड्ढr ड्ढr इस मौके पर स्व. प्रसाद के पुत्र डा. एन के श्रीवास्तव बताया कि पिता की मृत्यु के 14 साल के बाद उनका सपना सकार हो पाया है, जो हर्ष का विषय है। इस मौके पर डा. एस एन पी सिन्हा, प्रो. यू मिश्रा, डा. रंजन अखौरी समेत अन्य लोगों ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डा. संजीव कुमार ने और धन्यवाद ज्ञापन के एल वर्मा ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य लोग मौजूद थे।

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