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गुजरात दंगों के १० बड़े मामलों की जाँच होगी

गुजरात के 2002 के साम्प्रदायिक दंगों से सम्बंधित दस प्रमुख घटनाआें की जाँच के लिए पाँच सदस्यीय विशेष जाँच दल गठित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह संकेत दिया। सांप्रदायिक दंगों की इन...

 गुजरात दंगों के १० बड़े मामलों की जाँच होगी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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गुजरात के 2002 के साम्प्रदायिक दंगों से सम्बंधित दस प्रमुख घटनाआें की जाँच के लिए पाँच सदस्यीय विशेष जाँच दल गठित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह संकेत दिया। सांप्रदायिक दंगों की इन घटनाआें के लिए विशेष जाँच दल गठित करने पर नरेन्द्र मोदी सरकार को भी आपत्ति नहीं है। साम्प्रदायिक दंगों की दस प्रमुख घटनाआें की पड़ताल विशेष जाँच दल (एसआईटी) को सौंपे जाने के बारे में सुप्रीम कोर्ट बुधवार को विधिवत आदेश देगा।ड्ढr न्यायमूर्ति अरिजित पसायत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने निर्देश दिया कि एसआईटी तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि एसआईटी उन गवाहों का बयान दर्ज करेगा, जिन्होंने अभी तक बयान नहीं दिया है। कोर्ट ने कहा कि एसआईटी चाहे तो गवाही पूरी कर चुके लोगों को दोबारा बुला सकता है।ड्ढr मालूम हो कि वर्ष 2003 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गुजरात दंगों की जाँच और सुनवाई राज्य के बाहर करने संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। आयोग ने आशंका जताई थी कि गुजरात में मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकेगी। सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस की तीस्ता सीतलवाड ने कहा कि हमने और एनएचआरसी ने माँग की थी कि गुजरात की राजनीतिक व्यवस्था के अंदर निष्पक्ष जाँच संभव नहीं हैं। वहाँ पुलिस दबाव में काम कर रही है। कोर्ट के इस फैसले से न्याय मिलने की उम्मीद है।ड्ढr सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करते हुए वामपंथी पार्टियों ने जोर देकर कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार के रहते ‘निष्पक्ष जाँच संभव नहीं’ है। उन्होंने ‘अल्पसंख्यकों के इस सामूहिक संहार’ की जाँच केन्द्रीय जाँच ब्यूरो से कराने की माँग भी की। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी तथा फारवर्ड ब्लाक के नेताआें ने याद दिलाया कि बिल्किस बानो मामले में भी राय सरकार की जाँच से न्याय नहीं मिल पाने के बाद आखिरकार उच्चतम न्यायालय को ही हस्तक्षेप करना पड़ा था। माकपा के वरिष्ठ नेता नीलोत्पल बसु ने कहा कि राय सरकार का आचरण हमेशा ही उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना करने वाला रहा है। लिहाजा अदालत को सीबीआई एवं अन्य एजेंसियों से मामलों की जांच करने के लिए स्वयं ही एसआईटी का गठन करना चाहिए।ड्ढr श्री बसु ने जाँच के लिए राय प्रशासन एवं पुलिस को निहायत ही गैर भरोसेमंद बताया कि जबकि हैदराबाद में भाकपा की 20 वी पार्टी कांग्रेस में भाग ले रहे पार्टी के राष्ट्रीय सचिव शमीम फैजी ने कहा कि एसआईटी बनाने का अदालत का निर्देश तो ठीक है लेकिन क्या गुजरात सरकार उसे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जाँच करने देगी। उन्होंने राज्य सरकार पर दंगों के मामलों की जाँच पटरी से उतारने तथा दोषियों को बचाने की हरसंभव कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार के रहते पीड़ितों को कतई न्याय नहीं मिल सकता। इसलिए भाकपा इस सामूहिक संहार की सीबीआई जाँच की माँग करती रही है।

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