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महँगाई की मार से सरकार तिलमिलाई

बेकाबू महँगाई पर यूपीए सरकार को विपक्ष के साथ ही सहयोगी वामदलों की तीखी त्योरियों का समाना करना पड़ रहा है। जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश न लगाए जाने के खिलाफ आन्दोलन की चेतावनी और विरोध के तीखे...

 महँगाई की मार से सरकार तिलमिलाई
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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बेकाबू महँगाई पर यूपीए सरकार को विपक्ष के साथ ही सहयोगी वामदलों की तीखी त्योरियों का समाना करना पड़ रहा है। जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश न लगाए जाने के खिलाफ आन्दोलन की चेतावनी और विरोध के तीखे स्वर के बीच सोमवार को कैबिनेट की उच्च स्तरीय समिति की बैठक होने जा रही है। इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा के लिए मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुला सकते हैं। भाकपा ने अप्रैल में देशव्यापी आंदोलन की धमकी दी है। उधर, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार जरूरी सामानों के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी रोकने के प्रयास कर रही है।ड्ढr कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कई मंचों पर महँगाई के खिलाफ गम्भीर चिंता जाहिर कर चुकी हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि मुद्रस्फीति की दर पर लगाम कसने की जिम्मेदारी सिर्फ कांग्रेस या केंद्र सरकार की नहीं है। आवश्यक वस्तुआें की जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर है, इसलिए जोर सिर्फ कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों का ही नहीं बल्कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाने पर है। राजग की तरह क्या कांग्रेस भी अपने मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाएगी? पार्टी के एक कंेद्रीय पदाधिकारी के अनुसार जब जरूरत होगी तो इस तरह का सम्मेलन भी बुला लिया जाएगा।ड्ढr इधर, माकपा के महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि संप्रग सरकार रोजमर्रा की चीजों के दामों में बेतहाश बढ़ोतरी रोकने में नाकाम रही है। इससे आम आदमी बेहाल है। भाकपा सांसद डी. राजा ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने उचित कदम नहीं उठाए। पार्टी ने 17 और 18 अप्रैल को इस मुद्दे पर देशव्यापी आंदोलन करने का फैसला किया है। उधर, वित्त सचिव सुब्बाराव ने शनिवार को एक सेमिनार में कहा कि मूल्य वृद्धि के पीछे काफी कुछ वैश्विक कारण हैं। दुनियाभर में जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं। अमेरिका में मंदी की आशंका के बावजूद विश्व भर में जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़े हैं। आमतौर पर हम उम्मीद करते हैं कि जब किसी विकसित देश में मंदी के हालात पैदा होते हैं, तब वस्तुओं के दाम गिरने लगते हैं। पिछली अमेरिकी मंदी का अनुभव भी ऐसा ही था। लेकिन अबकी ऐसा नहीं हो रहा है। मुद्रास्फीति बढ़ने के साथ रुपए के मजबूत होने से हालात जटिल हो रहे हैं और निर्यात पर दोहरा दबाव है।

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