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Hindi News नरेगा के कामकाज पर सीएजी ने उंगली उठाई

नरेगा के कामकाज पर सीएजी ने उंगली उठाई

राज्य के ग्रामीण इलाकों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगारी गारंटी अधिनियम (नरेगा) का काम-काज मनमाने तरीके से चल रहा है। कहीं जॉब कार्ड बांटने में गड़बड़ी हो रही है तो कहीं काम देने में। कहीं एक ही मजदूर...

 नरेगा के कामकाज पर सीएजी ने उंगली उठाई
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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राज्य के ग्रामीण इलाकों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगारी गारंटी अधिनियम (नरेगा) का काम-काज मनमाने तरीके से चल रहा है। कहीं जॉब कार्ड बांटने में गड़बड़ी हो रही है तो कहीं काम देने में। कहीं एक ही मजदूर को एक ही दिन में कई-कई बार भुगतान दिया जा रहा है। नियंत्रक महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट ने बिहार में नरेगा के तहत हो रहे काम का पूरा चिठ्ठा ही खोल दिया है।ड्ढr ड्ढr रिपोर्ट में कहा गया है कि औरंगाबाद, भोजपुर, गया, जहानाबाद, पटना, पूर्णिया, रोहतास और शिवहर में नियमों को धता बताते हुए 20 हजार 225 परिवारों को न तो रोजगार दिया गया और न ही बेरोजगारी भत्ता का भुगतान किया गया। नरेगा के नियमों के अनुसार रजिस्टर्ड मजदूरों के नाम से डाकघर अथवा बैंक में खाता खोलकर मजदूरी का भुगतान करना है। प्रखंडों में इस नियम को दरकिनार करते हुए मजदूरी का भुगतान नगद किया गया। इससे गड़बड़ी की आशंका बनी रही। दरभंगा, गया, कटिहार, मधुबनी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, समस्तीपुर और सुपौल के कई प्रखंडों में एक ही दिन में एक ही मजदूर का नाम दो-तीन बार दिखाकर मजदूरी का भुगतान कर दिया। इससे साफ है कि 10 लाख रुपये का भुगतान संदिग्ध मजदूरों को किया गया।ड्ढr ड्ढr प्रखंडों में जो जॉब कार्ड रजिस्टर बना उसमें मजदूरों की तस्वीर नहीं लगाई गई। कई जिलों में जांच के दौरान पता चला कि वहां कोई रजिस्टर ही नहीं बनायी गयी जिससे पता चले कि कितने मजदूरों को कितनी राशि का भुगतान हुआ। गड़बड़ी का आलम यह था कि नरेगा को लेकर राज्य सरकार ने जो प्रतिवेदन जारी किया उसमें कहा गया था कि दरभंगा जिले में अनुसूचित जाति के किसी भी परिवार को जॉब कार्ड नहीं दिया गया है जबकि दरभंगा जिला प्रशासन ने कह दिया कि उसने अनुसूचित जाति के 7 हजार 180 परिवारों को रोजगार दिया।

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